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रेशम विकास योजनाएं लक्ष्य से कोसों दूर

रांची : उद्योग विभाग में राज्य के औद्योगिक विकास के साथ-साथ रेशम, हथकरघा और हस्तशिल्प के विकास की योजनाएं भी चलती हैं. इसके विकास के लिए झारक्राफ्ट का गठन किया गया. शुरुआत में झारक्राफ्ट ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अब इसके प्रति उत्साह कम होता जा रहा है. एक समय था, जब झारक्राफ्ट में चार […]

रांची : उद्योग विभाग में राज्य के औद्योगिक विकास के साथ-साथ रेशम, हथकरघा और हस्तशिल्प के विकास की योजनाएं भी चलती हैं. इसके विकास के लिए झारक्राफ्ट का गठन किया गया. शुरुआत में झारक्राफ्ट ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अब इसके प्रति उत्साह कम होता जा रहा है.
एक समय था, जब झारक्राफ्ट में चार लाख से अधिक महिलाएं कोकुन और रेशम के उत्पादन में जुटी थीं. हालांकि पिछले दो वर्षों में यह आंकड़ा घटा है.

अब एक लाख के करीब महिलाएं ही कोकुन व रेशम उत्पादन जुड़ी हैं. बुनकरों की संख्या भी कम होती गयी है. झारक्राफ्ट का टर्नओवर वर्ष 2013-14 में 41 करोड़ रुपये था, जो अब घट कर 31 करोड़ हो गया है. झारक्राफ्ट द्वारा 131 कॉमन फैसलिटी सेंटर (सीएफसी) खोले गये थे, जहां महिलाएं रेशम धागा उत्पादन से जुड़ी थीं. एक सीएफसी में 50 से 100 महिलाओं को काम मिला हुआ था. आज सीएफसी बंद होते जा रहे हैं. अब केवल 25 सीएफसी चल रहे हैं. विभाग द्वारा 50 हजार स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) गठन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें अब तक सिर्फ 45 एसएचजी का गठन ही हो सका है, जो लक्ष्य से काफी पीछे है.
1427 मीट्रिक टन तसर रेशम का उत्पादन हुआ
इस वित्तीय वर्ष में जनवरी तक 1427 मीट्रिक टन तसर रेशम का उत्पादन हुआ है. 10 लाख वाणिज्यिक सीड रियरिंग का काम हो चुका है. रेशम उत्पादकों को उन्नत प्रशिक्षण के तहत अब तक 12020 लोगाें को प्रशिक्षित किया जा चुका है. वहीं 19372 सूतकातकों को योजना का लाभ मिला है. 63456 हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षित किया गया है. 42 हथकरघा कलस्टर खोले गये हैं, जहां 133 हथकरघा ग्रुप चल रहे हैं. हथकरघा से 49026 लोग लाभान्वित हुए हैं.
2700 मीट्रिक टन तसर रेशम का उत्पादन है चुनौती
उद्योग विभाग द्वारा 2700 मीट्रिक टन तसर रेशम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जनवरी तक मात्र 1427 मीट्रिक टन तसर का ही उत्पादन हुआ है, जबकि मार्च तक लक्ष्य को पूरा करना है. यह एक चुनौती है. विभाग द्वारा रांची व गोड्डा में सिल्क पार्क की स्थापना करना एक बड़ी चुनौती है. इस योजना के तहत एक ही कैंपस में प्रशिक्षण से लेकर विपणन तक की सुविधा उपलब्ध करायी जानी है.

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