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ग्रामीण क्षेत्रों की तसवीर बदलने की हो रही पहल
रांची : झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाअों को सशक्त बनाने अौर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए पहल की जा रही है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय को जागरूक करना, उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका की विभिन्न गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षित करना अौर आजीविका से जोड़ना है. […]
रांची : झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाअों को सशक्त बनाने अौर उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए पहल की जा रही है. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय को जागरूक करना, उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका की विभिन्न गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षित करना अौर आजीविका से जोड़ना है. यह काम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत किया जा रहा है.
सोसाइटी के सीइअो पारितोष उपाध्याय ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि इस मिशन के तहत 2020 तक पूरे राज्य को कवर किया जा सके. फिलहाल 20 जिले के 63 प्रखंड में इस मिशन के तहत काम किया जा रहा है. इस वर्ष के अंत तक 80 प्रखंड में काम किया जायेगा.
श्री उपाध्याय ने बताया कि यह मिशन महिलाअों को केंद्र में रख कर उनके जरिए ग्रामीण क्षेत्र में समुदायों को संगठित करने, उन्हें वित्तीय जानकारी देने पर काम कर रहा है. अभी तक गांव के लोग महाजनों से कर्ज लेते हैं. इससे उन्हें कई तरह की परेशानियां भी होती हैं अौर उनकी आर्थिक स्थिति कभी नहीं सुधरती. सोसाइटी के जरिये गांव के समूहों को अनुदान राशि दी जाती है. इस राशि का उपयोग गांव में लोग अपनी जरूरत के हिसाब से करते हैं.
वे बाद में उस राशि को लौटा देते हैं. इस तरह से लोग महाजनों के चंगुल में फंसने से बंचते हैं अौर वित्तीय जानकारी प्राप्त करते हैं. इसके अलावा सोसाइटी ग्रामीणों को कृषि के अलावा स्वरोजगार के विभिन्न कामों के लिए भी प्रशिक्षित करती है. कृषक मित्र के जरिये खेती को अौर उत्पादक बनाने की जानकारी दी जाती है. ग्रामीणों को श्री विधि से खेती करने, आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करने सहित अन्य उत्पादक गतिविधियों के बारे में बताया जाता है. खेती के अलावा बकरी पालन अौर पोल्ट्री फॉर्म खोलने के बारे में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्र में बकरियों में बीमारी व अन्य कारणों से मृत्युदर काफी अधिक है. सोसाइटी ने स्वयंसेवी सहायता समूह से जुड़ी ग्रामीण महिलाअों को वैक्सीनेशन का प्रशिक्षण दिया. इन महिलाअों को पशु सखी का नाम दिया गया. ये महिलाएं अपने गांव तथा अासपास के क्षेत्रों में बकरियों के बीच वैक्सीनेशन का काम कर रही है. इससे बकरियों की मृत्यु दर में कमी आयी है. इसके अलावा अनगढ़ा, खूंटपानी अौर महेशपुर में गोट रिसोर्स सेंटर स्थापित किया जा रहा है. इस सेंटर के जरिए बकरी पालकों को कई तरह की जानकारियां व सुविधाएं मिलेंगी.
कई क्षेत्रों में वन उत्पादों के संग्रह अौर उनकी मार्केटिंग, लाह की खेती के प्रशिक्षण से आजीविका से जोड़ा जा रहा है. ग्रामीण युवाअों को दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत कंप्यूटर की शिक्षा, स्टिचिंग, बैंकिंग, एकाउंटिंग, वेल्डिंग, हॉस्पिटालिटी आदि का कोर्स कराया जा रहा है. इस कोर्स के बाद उन्हें रोजगार से जोड़ने की भी पहल हो रही है. इन अलग-अलग गतिविधियों के जरिये ग्रामीण क्षेत्र की तसवीर बदलने की कोशिश की जा रही है.
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