आंदोलन में वैसे अभ्यर्थी शामिल थे, जिसे आयोग ने रिजेक्ट कर दिया है. वो आयोग की इस कार्रवाई को नियम विरूद्ध बता रहे थे. उनका कहना था कि पांचवीं सिविल सेवा परीक्षा का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है, बावजूद इसके आयोग ने आनन-फानन में रिजल्ट जारी कर दिया. रिजेक्ट किये गये लगभग 520 अभ्यर्थियों का मामला पिछले विधानसभा सत्र में जोर-शोर से उठा था.
सरकार ने आश्वासन दिया था कि इस मामले में महाधिवक्ता से राय लेगी. साथ ही रिजेक्ट किये गये छात्रों के साथ सहानुभूति रखी जायेगी. आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों ने रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. रिजल्ट प्रकाशन में आरक्षण नियमों की अवहेलना की गयी है. अभ्यर्थी रिजल्ट को रद्द करने की मांग कर रहे थे.