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तोलोंग सिकि सम्मान सह कुड़ुख भाषा साहित्य विकास जागृति समारोह में स्पीकर ने कहा, अनमोल उपहार है तोलोंग सिकि लिपि
रांची : समाज के लिए किया गया हर काम सम्मन दिलाता है़ जिस पद पर भी पर रहें, समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी अवश्य निभाये़ं कुड़ुख भाषा और तोलोंग सिकि लिपि को बढ़ावा देने में पूरे कुड़खर समाज को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है़ डॉ नारायण उरांव ‘सैंदा’ ने सिकि लिपि विकसित कर समाज […]
रांची : समाज के लिए किया गया हर काम सम्मन दिलाता है़ जिस पद पर भी पर रहें, समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी अवश्य निभाये़ं कुड़ुख भाषा और तोलोंग सिकि लिपि को बढ़ावा देने में पूरे कुड़खर समाज को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है़ डॉ नारायण उरांव ‘सैंदा’ ने सिकि लिपि विकसित कर समाज को अनमोल उपहार दिया है़ रांची विश्वविद्यालय से इस लिपि के लिए मानद उपाधि दिलाने का प्रयास होना चाहिए़.
उक्त बातें विस अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कही. वे मंगलवार को जनजातीय शोध संस्थान में आयोजित तोलोंग सिकि सम्मान सह कुड़ुख भाषा साहित्य विकास जागृति समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोेल रहे थे़ कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय तोलोंग सिकि प्रचारिणी सभा व अद्दी कुड़ुख चाला धुमकुड़िया पड़हा अखड़ा ने किया था़.
आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अर्हता पूरी हुई
विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि कुड़ुख को एक भाषा के रूप मेें स्थापित करने में डाॅ नारायण उरांव का कार्य महत्वपूर्ण है़ पत्रकार किसलय ने इसका सॉफ्टवेयर विकसित कर इसे वैश्विक पहचान दिलायी है़ तोलोंग सिकि लिपि में मैट्रिक की परीक्षा लिखने के लिए झारखंड अधिविद्य परिषद द्वारा अधिसूचना जारी करने में विस अध्यक्ष दिनेश उरांव की महत्वपूर्ण भूमिका रही़ संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लिपि की अहर्ता पूरी हो गयी है़ पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा हासिल करना बच्चों का संवैधानिक अधिकार है़.
सोशल साइंसेज के डीन डॉ करमा उरांव ने कहा कि किसी भी संस्कृति के जीवित रहने का सबसे बड़ा आधार भाषा है़ हमारी भाषा हमारे लिए प्रकृति प्रदत्त उपादान है़ मोहनजोदड़ो- हड़प्पा की सभ्यता और द्रविड़ संस्कृति से संबद्ध हमारी कुड़ुख संस्कृति को बचाना बड़ी चुनौती है़ इसकी रक्षा के लिए जरूरी है कि लोग इस भाषा में बोले़ं.
गुमला में खुलेगा कुड़ुख रिसर्च इंस्टीट्यूट
आदिवासी कल्याण आयुक्त गौरीशंकर मिंज ने कहा कि कुड़ुख बोलनेवालों की बड़ी आबादी है़ देश के 12 राज्यों के अतिरिक्त नेपाल, भूटान व बांग्लादेश में भी लोग यह भाषा बोलते है़ं गुमला डीसी के रूप में उन्होंने कुड़ुख रिसर्च इंस्टीट्यूट का काम शुरू किया था़ इसे लिए दो एकड़ जमीन चिह्नित की गयी थी़ सरकार से 1,70,00000 रुपयेे की परियोजना के लिए स्वीकृति ली थी़ अब वहां के नये डीसी से काम को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है़ उनके तहत कल्याण विभाग के 132 आवासीय विद्यालय हैं, जहां पहली व दूसरी कक्षा में पढ़ायी शुरू करायी जायेगी़ बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करायी जायेंगी़.
2084 गांवों में लूर कुड़िया हैं
धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि वह सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रमों के लिए जहां भी जाते हैं, वहां कुड़ुख के प्रयोग पर बल देते है़ं 2084 गांवों में लूर कुड़िया हैं, जहां से हम इस लिपि में पढ़ायी शुरू करा सकते है़ं
विनोबा भावे विवि के पूर्व वीसी रवींद्रनाथ भगत ने कहा कि कुड़ुख भाषा के लिए लिपि विकसित करना इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी़ लिपि विकसित करनेवाले पत्रकार किसलय ने बताया कि इसका फौंट www.tolongSiki.com से डाउनलोड कर सकते है़ं लिपि विकसित करनेवाले डॉ नारायण उरांव ने कहा कि किसी संस्कृति को बचाने के लिए उसकी भाषा बचाना और भाषा को बचाने के लिए इसे दिखनेवाला बनाना आवश्यक है़ कार्यक्रम में बिशप निर्मल मिंज, डॉ नारायण भगत, महामनी उरांव, फादर अगस्टीन केनकेट्टा, फिलमोन टोप्पो, जिता उरांव, डाॅ हरि उरांव, प्रो रवि तिग्गा, बहुरा उरांव, बिरसा भगत व अन्य मौजूद थे़
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