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नहीं हो रही है भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई
विडंबना. 42 दिन से राज्य में लोकायुक्त का पद रिक्त साढ़े पांच माह से सचिव का पद भी खाली राणा प्रताप रांची : लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के दर्ज मामलों में सुनवाई ठप है. लगभग 950 लंबित मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. हालांकि नये केस की फाइलिंग हो रही है. केस में […]
विडंबना. 42 दिन से राज्य में लोकायुक्त का पद रिक्त
साढ़े पांच माह से सचिव का पद भी खाली
राणा प्रताप
रांची : लोकायुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार के दर्ज मामलों में सुनवाई ठप है. लगभग 950 लंबित मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. हालांकि नये केस की फाइलिंग हो रही है. केस में नंबर पड़ रहे हैं, लेकिन उस पर कोई अग्रेतर कार्रवाई नहीं की जा रही. कार्यालय के अधिकारी व बाबू नये लोकायुक्त के आने का इंतजार कर रहे हैं.
राज्य में पिछले 42 दिन से लोकायुक्त का पद रिक्त पड़ा है. दो जनवरी को तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस अमरेश्वर सहाय के पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा हो गया था, तब से उक्त पद रिक्त है.
उल्लेखनीय है कि राज्यकर्मियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं, जिसकी सुनवाई फिलहाल ठप है. तत्कालीन लोकायुक्त ने वित्तीय गड़बड़ी व भ्रष्ट तरीके से अर्जित की गयी संपत्ति मामले में लगभग 40 लोक सेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
68 लोक सेवकों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चलाने की अनुशंसा की गयी थी. पिछले पांच वर्ष में 3,361 से अधिक मामले लोकायुक्त के पास आये. इसमें से सितंबर 2015 तक 2,220 मामले का निष्पादन किया गया है. इसमें से अधिकतर मामले सेवानिवृत्ति लाभ से संबंधित थे. लोकायुक्त के सचिव का पद पिछले साढ़े पांच माह से खाली पड़ा है. उक्त पद पर दीपक कुमार पदस्थापित थे. उनका तबादला अगस्त 2015 में हो गया. उसके बाद से इस पद पर किसी की पदस्थापना नहीं हुई. लोकायुक्त भी नहीं है. ऐसी परिस्थिति में अब लोकायुक्त कार्यालय में प्रशासनिक निर्णय लेनेवाला भी कोई अधिकारी नहीं रह गया है.
संसाधन का अभाव नहीं मिले कर्मी
लोकायुक्त कार्यालय में मानव संसाधन की भारी कमी है. पूर्व में जरूरत के मुताबिक पद सृजित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसे अब तक स्वीकृति नहीं दी गयी है. लगभग 60 नये पद सृजित करने को कहा गया था. यहां वर्तमान में सिर्फ 37 कर्मियों के भरोसे काम हो रहा है, जबकि बिहार में लोकायुक्त कार्यालय में लगभग 300 कर्मी काम करते हैं.
अभी बन ही रहा है लोकायुक्त का भवन
पहले लोकायुक्त का कोई अपना भवन नहीं था. आड्रे हाउस के कुछ कमरों में चलता था. काफी प्रयास के बाद जेल के पीछे लोकायुक्त को कार्यालय मिला. बाद में बरियातू रोड में करोड़ों की लागत से लोकायुक्त का जी-प्लस थ्री बिल्डिंग का निर्माण शुरू किया गया. इसके चालू वित्तीय वर्ष में बिल्डिंग बन कर तैयार हो जाने की संभावना है.
जांच के लिए नहीं मिली स्वतंत्र जांच एजेंसी
लोकायुक्त को स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है. जांच के मामलों में उसे सरकार की अन्य जांच एजेंसियों पर निर्भर रहना पड़ता है. वर्ष 2011 से एजेंसी की मांग लोकायुक्त द्वारा की जा रही है. सरकार ने अब तक स्वतंत्र जांच एजेंसी नहीं दी है. लोकायुक्त को सशक्त बनाने के लिए अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी वर्ष 2012 में दिया गया, जो लंबित है.
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