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पलामू में नक्सली विस्फोट: इसलिए 407 से गये थे जवान टायर खराब, बेकार पड़े हैं पांच एंटी लैंड माइन वाहन

सुरजीत सिंह, रांची पलामू के छतरपुर-जपला रोड पर नक्सलियों ने जिस पुलिस वाहन को विस्फोट कर उड़ाया, वह साधारण 407 बस थी, जबकि पलामू जिले काे पांच एंटी लैंड माइन वाहन मिले हुए हैं. बताया जाता है कि एक भी एंटी लैंड माइन वाहन चलने की हालत में नहीं है. सभी के टायर खराब हैं. […]

सुरजीत सिंह, रांची
पलामू के छतरपुर-जपला रोड पर नक्सलियों ने जिस पुलिस वाहन को विस्फोट कर उड़ाया, वह साधारण 407 बस थी, जबकि पलामू जिले काे पांच एंटी लैंड माइन वाहन मिले हुए हैं. बताया जाता है कि एक भी एंटी लैंड माइन वाहन चलने की हालत में नहीं है. सभी के टायर खराब हैं. यही कारण था कि जवानों को एंटी लैंड माइन वाहन के बजाय साधारण बस से जाना पड़ा. इस मुद्दे को पुलिस मेंस एसोसिएशन के सदस्यों ने गुरुवार को पलामू पहुंचे डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों के समक्ष उठाया. बताया कि पलामू को मिले पांचों एंटी लैंड माइन वाहन टायर के अभाव में पड़े हुए हैं. जमशेदपुर से भी तीन एंटी लैंड माइन वाहन पिछले दिनों उपलब्ध कराये गये थे. उसके भी टायर घिस गये हैं.
जवानों की सुरक्षा की चिंता नहीं : नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों की सुरक्षा के प्रति जिलों के एसपी कितने चिंतित हैं, इसका पता इस तथ्य से चलता है कि वर्ष 2014 में पुलिस मुख्यालय की ओर से पलामू जिला को एंटी लैंड माइन वाहन के नौ टायर उपलब्ध कराये गये थे. लेकिन पलामू पुलिस सिर्फ दो टायर ही ले गयी. सात टायर आज भी पुलिस मुख्यालय में पड़े हुए हैं.
लातेहार, लाेहरदगा में भी यही हाल : पड़ताल करने पता चला कि लातेहार में भी यही हाल है. जिला पुलिस को पुलिस मुख्यालय ने 10 एंटी लैंड माइन वाहन उपलब्ध कराये हैं. इनमें से पांच वाहनों का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. एक वाहन मेंटेनेंस के आभाव में खड़ा है. चार के टायर घिस गये हैं. यही हाल उग्रवाद प्रभावित जिला लोहरदगा का भी है. वहां तीन एंटी लैंड माइन वाहन हैं. एक वाहन खराब है.
एसपी नहीं मंगवाते टायर : जिलों में टायर के आभाव में एंटी लैंड माइन वाहन बेकार पड़े हैं. पुलिस मुख्यालय में टायर पड़े हुए हैं. जानकारी के मुताबिक, वर्ष 2014 में तत्कालीन डीजीपी राजीव कुमार के समय पुलिस मुख्यालय ने करीब 195 टायर की खरीद की थी. पुलिस मुख्यालय ने गाड़ियों के अनुपात में जिलों को टायर आवंटित भी कर दिया था. करीब 60 प्रतिशत टायर आज भी पुलिस मुख्यालय में ही पड़ा है. जिलों के एसपी टायर ले ही नहीं गये.
2016 में नक्सलियों का सफाया : डीजीपी
काला पहाड़ में हुई चूक
मेदिनीनगर: काला पहाड़ में नक्सलियाें के लैंड माइन ब्लास्ट में शहीद हुए सात जवानाें काे श्रद्धांजलि देने पहुंचे डीजीपी डीके पांडेय ने गुरुवार काे कहा वर्ष 2016 में नक्सलियों के सफाये का वर्ष होगा. काला पहाड़ की घटना से पुलिस हतोत्साहित नहीं है. अभियान के दौरान कभी-कभी चूक होती है. पुलिस प्रमुख होने के नाते वह इस चूक की जिम्मेवारी भी लेते हैं. काला पहाड में पुलिस कैंप की स्थापना की जायेगी. राज्य के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष चौकसी बरती जायेगी. डीजीपी श्री पांडेय यहां पुलिस लाइन में पत्रकारों से बात कर रहे थे. डीजीपी ने कहा : राज्य को उग्रवादमुक्त बनाने के लिए राज्य की पुलिस पूरी सक्रियता के साथ लगी हुई है. नक्सल विरोधी अभियान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पुलिस के पास साधन-संसाधन की कमी नहीं है.
जब तक राज्य की सीमा को सुरक्षित नहीं किया जायेगा, तब तक राज्य में सुरक्षा का वातावरण कायम नहीं किया जा सकता है. सुरक्षा का वातावरण बने, इसके लिए जरूरी है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था काे मजबूत किया जाये.
शहीदाें के परिजन काे आज मिलेगा नियुक्ति पत्र
डीजीपी श्री पांडेय ने कहा : शहीद जवानाें के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर शुक्रवार को ही नियुक्ति पत्र दे दिया जायेगा. राज्य में सुरक्षा का बेहतर माहौल कायम हो, इसलिए सभी उपाय किये जा रहे हैं. सेवानिवृत सैनिकों के अनुभव का भी लाभ लिया जायेगा. चंद गुमराह लोग राज्य में असुरक्षा का वातावरण कायम करना चाहते हैं. वैसे लोगों के मंसूबे को कामयाब नहीं होने दिया जायेगा. पुलिस को जितनी भी कार्रवाई करनी होगी, कार्रवाई करेगी. जवानाें की शहादत को बेकार नहीं जाने दिया जायेगा. लड़ाई हौसले व दिमाग से लड़ी जाती है. लड़ने के लिए हमारे जवान पूरी तरह से तैयार हैं.
इन्हाेंने भी दी शहीद जवानों को सलामी : डीजीपी डीके पांडेय के साथ एडीजी अभियान एसएन प्रधान, एसटीएफ के आइजी प्रवीण सिंह, डीआइजी साकेत कुमार सिंह, अभियान एसपी कन्हैया प्रसाद सिंह ने भी शहीद जवानों को अंतिम सलामी दी.
एयरफोर्स की टीम ने प्रतिकूल परिस्थिति में बढ़िया काम किया : पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता एडीजी अभियान एसएन प्रधान ने बताया कि एयरफोर्स की टीम ने बुधवार काे एमआइ-17 हेलीकॉप्टर को रात के अंधेरे में उड़ाया. टीम ने घटना में घायल जवानों को चियांकी एयरफिल्ड से रांची पहुंचाया. इसके लिए गृह मंत्रालय के माध्यम से टीम के सदस्यों को प्रशंसा पत्र भेजा जायेगा. एयरफोर्स की टीम में एयर सीएमडीइ अजय शुक्ला, ग्रूप कैप्टन अशोक पांडेय, पायलट शिव शंकर राम, पायलट एसपी रोहिथ, इंजीनियर एके सिंह एस मिश्रा शामिल थे.
माओवादियों ने ली जिम्मेदारी
काला पहाड़ िवस्फोट की जिम्मेदारी माओवादियों ने ली है़ भाकपा माओवादी के प्रवक्ता परमजीत ने मीडिया को फोन कर विस्फोट की जिम्मेदारी ली है़ परमजीत ने कहा है कि संगठन ने बिहार के औरंगाबाद के ढिबरा में मुठभेड़ में मारे गये साथियों का बदला लिया है़
रात में कोई अफसर नहीं पहुंचा मेडिका
रांची : बुधवार देर रात छह जवान अनुज कुमार, सुमन कुमार, गंगा प्रसाद, प्रवीण कुमार मिश्रा, शमाहुद्दीन अंसारी व नीरज कुमार को घटनास्थल से रांची लाया गया था़ इनमें गंभीर रूप से घायल तीन जवानों को मेडिका व तीन को रिम्स में भरती कराया गया.
इधर, रात में हटिया एएसपी प्रशांत आनंद को छोड़ कोई भी अधिकारी इन जवानों का हाल-चाल लेने रिम्स या मेडिका नहीं पहुंचे, जबकि अधिकतर बड़े अधिकारी (आइजी रांची जोन अरुण कुमार, एसएसपी प्रभात कुमार, सिटी एसपी जया रॉय आदि) रांची में ही मौजूद थे़ गुुरुवार की सुबह सबसे पहले जैप के एडीजी रेजी डुुंगडुंग जवानों से मिलने मेडिका पहुंचे़.
इसके बाद रांची जोन के आइजी अरुण कुमार सिंह, एएसपी कोतवाली अंशुमन कुमार और बाद में आइजी ऑपरेशन एमएस भाटिया पहुंचे और जवानों की स्थिति का जायजा लिया़ आइजी ऑपरेशन ने घायल जवानों को फल दिया. चिकित्सकों से उनकी स्थिति की जानकारी ली. रांची जोन के आइजी ने जवानाें से पूरी घटना के बारे में जानकारी ली और डॉक्टर संजय कुमार व डॉ आनंद से जवानों की स्थिति के बारे में जाना़
पुलिस लाइन में दी गयी शहीद जवानों को अंतिम विदाई
मेदिनीनगर: छतरपुर स्थित कालापहाड़ में बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद जवानों को गुरुवार को पुलिस लाइन में अंतिम सलामी दी गयी. इस दौरान कई शहीद के परिजन भी वहां पहुंचे थे. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. चालक संजय शर्मा की पत्नी रामसखी देवी जैसे ही मैदान में पहुंची, वह दहाड़ मार कर रोने लगी. संजय शर्मा की चार पुत्री व एक पुत्र हैं.
सबसे छोटा पुत्र भी साथ में आया था. उसका भाई राजीव शर्मा बच्ची को गोद में लिये हुए था. यह दृश्य देख कर वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गये. वहीं, चौकीदार महेंद्र राम की पत्नी सुषमा देवी व बहन सरस्वती देवी भी बिलख रही थीं.
महिला पुलिसकर्मी सुषमा व सरस्वती को सांत्वना दे रही थीं. संजय शर्मा की पत्नी रामसखी देवी व महेंद्र राम की पत्नी सुषमा देवी बार-बार बेहोश हो जा रही थीं. शहीद अजीत विश्वकर्मा के पिता चरितर विश्वकर्मा को जब डीजीपी ने दाह-संस्कार के लिए पैसे दिये, तो वे आंसू को रोक नहीं पाये.
जिंदा बच गया, पर साथियों के नहीं रहने का है गम
माओवादी और टीपीसी के बीच मुठभेड़ के बाद घटनास्थल पर एक शव पड़े होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद हमलोग काला पहाड़ के पास गये थे. वहां से लौटने के क्रम में विस्फोट हुआ. विस्फोट में मैं तो बच गया, लेकिन हमारे सात साथी शहीद हो गये.
यह बात बारूदी सुरंग विस्फोट की घटना में घायल जवान प्रवीण कुमार मिश्रा ने कही़.

जवान ने बताया: लौटने के क्रम में छोटी गाड़ी निकल गयी थी. उसके पीछे चल रही 407 बस के गुजरने के दौरान बलास्ट हुआ़ विस्फोट दाहिनी ओर हुआ था, जबकि वह बायीं ओर बैठा हुआ था. विस्फोट में आगे बैठे हवलदार और जवान शहीद हो गये. प्रवीण के अनुसार वह बच गया, इसके लिए वह भगवान का शुक्रगुजार है, लेकिन साथियों के नहीं रहने से वह गम में है. उसने बताया कि डीएसपी नसरूल्लाह खान व बड़ा बाबू श्री रजक के आदेश पर हमलोग सुबह 5़ 45 बजे निकले थे़ जवान के अनुसार जिस वक्त बलास्ट हुआ, उस वक्त उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया था. ब्लास्ट के तुरंत बाद फायरिंग भी होने लगी थी. उसी समय जवान शमाहुद्दीन की आवाज कान में पड़ी.. अरे फायर करो.. उसके बाद मैंने राइफल से फायरिंग शुरू कर दी थी. 10 मिनट के बाद सीआरपीएफ की टीम भी आ गयी़ हम सभी ने सीआरपीएफ के साथ मिल कर फायरिंग की, तो माओवादी वहां से भाग निकले. उसके बाद हमलोग अपने घायल जवानों को संभालने में लग गये़ सभी घायलों को राहत पहुंचाने में लग गये थे.

घटनास्थल पर सीआरपीएफ वाले समझ नहीं पा रहे थे हम माओवादी हैं या पुलिस
रांची. घायल शमाहुद्दीन अंसारी ने बताया कि हम सभी ने काला पहाड़ गांव के पहले एक कॉलेज के पास एंबुस लगा रखा था. दो-तीन घंटे वहां रहने के बाद आगे बढ़े थे़ लौटने के क्रम में बलास्ट हुआ, जिसमें हमारे सात साथी शहीद हो गये. ब्लास्ट के बाद दूसरी ओर से फायरिंग होने लगी़ हमारी राइफल मिट्टी में धंस गयी था, मैगजीन भी टूट गया था़ किसी प्रकार बोल्ट कर फायरिंग की. कुछ देर के बाद सीआरपीएफ के जवान भी आ गये़ वे समझ नहीं पा रहे थे कि हमलोग माओवादी हैं या पुलिस वाले़ जब हमने पुलिस होने की बात उन्हें बतायी, तब उन्होंने कहा कि चिंता न करें हमलोग आ गये हैं. सीआरपीएफ ने गोली चलानी शुरू की, तब माओवादी वहां से भाग निकले.
छतरपुर घटना: नक्सल इलाके में गश्ती के दौरान मूल बातों को भूल गयी पुलिस, भुगतना पड़ा खमियाजा, तीन बार एक ही रास्ते से आती-जाती रही पुलिस
पलामू के छतरपुर में हुए विस्फोट की घटना पुलिस की चूक का नतीजा है. इसी चूक का फायदा उठाने में नक्सली कामयाब रहे. विस्फोट के मामले में कई बातें सामने आ रही हैं. सूत्रों के मुताबिक पुलिस की जिस टीम को नक्सलियों ने निशाना बनाया, वह टीम बुधवार को सुबह से ही काला पहाड़ के आसपास थी. जिस सड़क पर लैंड माइन से पुलिस वाहन को उड़ाया गया, उस सड़क से होकर पुलिस की टीम तीन बार आयी और गयी. पुलिस की टीम यह सामान्य बात भूल गयी कि नक्सल इलाकों में आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्तों का इस्तेमाल करना है. एक ही रास्ते का इस्तेमाल बार-बार नहीं करनी चाहिए. पुलिस को इसी भूल की भारी कीमत चुकानी पड़ी.

इसी बीच नक्सलियों को मौका मिल गया. नक्सलियों ने या तो पहले से लैंड माइन लगा रखा था या घटना से कुछ वक्त पहले लगाया था. शाम करीब 6.00 बजे जब पुलिस की टीम लौटने लगी, तभी नक्सलियों ने 407 वाहन को निशाना बनाया. इस हादसे में सात जवान मारे गये. घटना को लेकर एक और बात सामने आयी है कि अभियान को लेकर पहले से कोई रणनीति नहीं तैयार की गयी थी और न ही अभियान पर कोई सीनियर अधिकारी नजर रख रहे थे.
जवानों की स्थिति खतरे से बाहर
रांची. मेडिका ने बुलेटिन जारी कर जवानों की स्थिति की जानकारी मीडिया को दी़ डॉ संजय ने बताया कि मेडिका में छह जवान अनुज कुमार, सुमन कुमार, गंगा प्रसाद, प्रवीण कुमार मिश्रा, समाहुद्दीन अंसारी व नीरज कुमार भरती है़ं उन्होंने कहा कि अनुज कुमार, सुमन कुमार व गंगा प्रसाद को सेमी आइसीयू (एचडीयू) में रखा गया है, जबकि प्रवीण कुमार मिश्रा, नीरज कुमार व समाहुद्दीन मिश्रा को जेनरल वार्ड में रखा गया है़ अनुज की पसली व छाती में चोट है़ उनकी छाती में पाइप डाल कर जमा हुआ खून निकाला जायेगा़ सुमन कुमार की कमर की हड्डी टूटी हुई है, जबकि गंगा प्रसाद का जबड़ा टूट गया है, उसका आॅपरेशन किया जायेगा़ प्रवीण कुमार मिश्रा के हाथ में फ्रैैक्चर है, समाहुद्दीन अंसारी के पैर व कुल्हे की हड्डी टूटी हुई है़ इनमें अनुज कुमार की स्थिति थोड़ी गंभीर है़ हालांकि सभी जवान खतरे से बाहर है़ं इस दौरान मेडिका के मीडिया एडवाइजर डॉ अांनद श्रीवास्तव सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे़
मेडिकल टीम गठित
मरीजों की देखरेख के लिए मेडिका में डॉक्टरों की एक टीम का गठन किया गया है़ उसमें न्यूरों के डॉ संजय कुमार व डॉ पैट्रिक मिंज, ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ प्रवीण सिन्हा, सर्जन मेजर डॉ रमेश दास, मैकजिलो फैसियल सर्जन डॉ ओम प्रकाश शामिल हैं. टीम का नेतृत्व क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार मिश्रा करेंगे़

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