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बोकारो: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल आर दबे ने कहा, कानून व्यवस्था ऐसी हो कि कोई गुनाह की सोचे भी ना

बोकारो: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सह नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल आर दबे ने कहा कि समाज में कानून का राज इस कदर होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति गुनाह करने का बारे में सोच भी नहीं सके. इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्य का पालन करना होगा. […]

बोकारो: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सह नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल आर दबे ने कहा कि समाज में कानून का राज इस कदर होना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति गुनाह करने का बारे में सोच भी नहीं सके. इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को ईमानदारीपूर्वक अपने कर्तव्य का पालन करना होगा. जस्टिस दबे बतौर मुख्य अतिथि रविवार को कैंप-दो स्थित बोकारो व्यवहार न्यायालय कैंपस में विक्टिम कंपनसेशन वर्कशॉप में बोल रहे थे.

कार्यक्रम का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बोकारो द्वारा किया गया था. जस्टिस दबे ने कहा कि पुलिस को ऐसी व्यवस्था लागू करनी चाहिए कि गुनाह ही ना हो और किसी को कंपनसेशन भी नहीं देना पड़े. किसी भी पीड़ित पक्ष को मुआवजा देकर उसका दर्द कम नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसे आर्थिक रूप से कुछ मदद जरूर पहुंचायी जा सकती है. देश में झारखंड पहला राज्य है, जहां इस कानून के तहत आपराधिक घटनाओं के पीड़ित को आर्थिक सहायता देने की शुरुआत की गयी है.

राष्ट्रभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला : श्री दबे ने अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रभाषा हिंदी की काफी प्रशंसा कि मंच पर आते ही श्री दबे ने कहा कि हम किसी परायी चीज का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

अंग्रेजी एक परायी और दूसरो से उधार ली गयी भाषा है. इस भाषा का हम जितना कम इस्तेमाल करे, वह अच्छा है. राष्ट्रभाषा हिंदी एक महान भाषा है. इस कारण मैं अधिक से अधिक हिंदी भाषा का इस्तेमाल करता हूं. इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन जस्टिस दबे ने दीप प्रज्जवलित कर किया.
पीड़िताें काे मुआवजा दिलाना भी हमारा काम : चीफ जस्टिस
झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने कहा कि आपराधिक घटनाओं के कारण बिखर चुके परिवार को मुआवजा प्रदान कर आर्थिक सहायता करना काफी बड़ी बात है. यह कानून देश में पहले से लागू है, लेकिन हमारा ध्यान केवल अपराधी को सजा दिलाने तक ही सीमित रहता है. पीड़ित पक्ष की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं जाता है. अब कोर्ट को पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलाने के लिए भी काम करना होगा. वैसी आपराधिक घटना जिस कारण परिवार बिखर चुका है. इस तरह के पीड़ितों की पहचान कर घटना के कुछ दिनों के ही भीतर मुआवजा का भुगतान कर देना चाहिए. जस्टिस सिंह ने कहा कि पीड़ित को मुआवजा दिलाने का काम राज्य की राजधानी रांची में शनिवार से शुरू हुआ. रांची मे लगे वर्कशॉप के माध्यम से 100 से भी अधिक लोगों को मुआवजा दिया गया. बोकारो में लगे वर्कशॉप में बोकारो के चार व धनबाद के चार पीड़ितों के बीच चेक का वितरण किया गया.
कार्यक्रम को प्रधान जिला न्यायाधीश संजय प्रसाद ने भी संबोधित किया. संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव मनीष रंजन ने किया. डीसी राय महिमापत रे ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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