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इंजीनियरों को नहीं मिल रहा मानदेय

रांची : संताल परगना के साथ ही कई जिलों में मनरेगा के इंजीनियरों को चार से छह महीने से मानदेय नहीं मिल रहा है. कहीं-कहीं सात माह से भी उन्हें मानदेय नहीं मिला है. कई जिलों में अभी का मानदेय दिया जा रहा है, लेकिन पिछले कई महीने का मानदेय अभी भी बकाया है. वे […]

रांची : संताल परगना के साथ ही कई जिलों में मनरेगा के इंजीनियरों को चार से छह महीने से मानदेय नहीं मिल रहा है. कहीं-कहीं सात माह से भी उन्हें मानदेय नहीं मिला है. कई जिलों में अभी का मानदेय दिया जा रहा है, लेकिन पिछले कई महीने का मानदेय अभी भी बकाया है.
वे लगातार राशि के लिए संबंधित अफसरों से आग्रह भी कर रहे हैं. यह हालत कनीय व सहायक अभियंता दोनों की है. यह स्थिति तब है, जब मुख्यालय में मानदेय के लिए पर्याप्त राशि है. विभाग ने इस मद के लिए 15 करोड़ रुपये अलग से रखा है. वहीं कई बार जिलों से राशि के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा गया है. उनसे मानदेय के बारे में भी पूछा गया है, पर अभी तक नौ जिलों ने ही राशि की मांग की है. ऐसे में विभाग ने इन जिलों को राशि आवंटित कर दिया है. खूंटी जिले ने अपने यहां के बकाये के बारे में जो रिपोर्ट दी है, उसके मुताबिक वहां शून्य बकाया है.
जानकारी के मुताबिक, अधिकतर जगहों में प्रखंड स्तर पर गड़बड़ियां हो रही हैं. प्रखंड विकास पदाधिकारियों की अोर से जिलों को सही रिपोर्ट नहीं दी जा रही है. नतीजन जिलों से वास्तविक स्थिति की जानकारी मुख्यालय को नहीं दी जा रही है. जिलों की मॉनिटरिंग को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
किसी िजले का मानदेय नहीं रोका गया
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि प्राथमिकताहै कि मानदेय का भुगतान सबसे पहले हो. किसी भी जिले का मानदेय नहीं रोका गया है. जिलों को इस संबंध में लिखा गया है कि वे प्रस्ताव दें, लेकिन नौ जिलों को छोड़ कर किसी ने भी प्रस्ताव नहीं दिया है. उन्होंंने कहा कि विभाग के स्तर पर इस मामले में गंभीरता बरती जा रही है. अगर यह मामला उनके समक्ष आता है, तो तत्काल निष्पादन होगा.

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