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पॉलिथीन भी बढ़ा रहा है पानी का संकट
पॉलिथीन का बढ़ता इस्तेमाल जल संकट को बढ़ावा दे रहा है. यह राज्य में होने वाले सुखाड़ का भी कारण है. धरती और सूरज की किरणों के बीच दीवार बना पॉलिथीन, जमीन में मौजूद पानी को वाष्प बनाने नहीं देता. इससे जलचक्र अवरुद्ध होता है. बादल नहीं बनते. बारिश नहीं होती. पॉलिथीन ग्राउंड वाटर लेवल […]
पॉलिथीन का बढ़ता इस्तेमाल जल संकट को बढ़ावा दे रहा है. यह राज्य में होने वाले सुखाड़ का भी कारण है. धरती और सूरज की किरणों के बीच दीवार बना पॉलिथीन, जमीन में मौजूद पानी को वाष्प बनाने नहीं देता. इससे जलचक्र अवरुद्ध होता है. बादल नहीं बनते. बारिश नहीं होती. पॉलिथीन ग्राउंड वाटर लेवल को भी नहीं बढ़ने देता है. पॉलिथीन के कारण बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पाता है, जिस कारण धरती प्यासी रह जाती है.
रांची : झारखंड में 50 से 55 फीसदी क्षेत्र पठारी है. बारिश का पानी ज्यादातर जगहों पर से बहते हुए ही निकलता है. पिछले कुछ वर्षों से राज्य में पॉलिथीन का प्रयोग बेतहाशा बढ़ा है. रोज लगभग 60 टन पॉलिथीन का इस्तेमाल राज्य भर में हो रहा है. जहां-तहां फेंके गये पॉलिथीन की वजह से राज्य के तकरीबन सभी शहरों में ग्राउंड वाटर लेवल काफी नीचे चला गया है. पॉलिथीन हाइड्रोलॉजिकल साइकिल में अवरोधक बन जाता है. पॉलिथीन की परत के कारण धरती को न तो पर्याप्त मात्रा में जल मिल पाता है, और ना ही वह पानी का उत्सर्जन कर पाती है. विशेषज्ञ पिछले कुछ वर्षों से राज्य में होनेवाली असमान्य बारिश का कारण पॉलिथीन को ही बताते हैं. जानकारों के अनुसार, पॉलिथीन का प्रयोग बंद कर दिया जाये, तो शहरों में ग्राउंड वाटर लेबल स्वत: ही ऊपर आ जायेगा. साथ ही, हर वर्ष बनने वाली सुखाड़ की स्थिति में भी सुधार जरूर होगा.
सतही जल को जहरीला करता है पॉलिथीन : पॉलिथीन सतही जल भी प्रदूषित कर देता है. यह कुआं और चापानल का पानी जहरीला कर देता है. जमीन में दबाने पर पॉलिथीन भूमि तो बंजर बनाता ही है, साथ ही इससे निकल कर विषैले तत्व जमीन के अंदर स्थित पानी तक पहुुंच जाते हैं. जमीन के अंदर मौजूद स्वच्छ जल के स्रोत (कुआं, चापानल आदि) को प्रदूषित करता है. पॉलिथीन में मौजूद विषैले तत्वों के कारण पानी जहरीला हो जाता है. उस पानी के लगातार प्रयोग से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
मिट्टी का स्वभाव बदल देता है पॉलिथीन : पॉलिथीन मिट्टी का स्वभाव खराब कर देता है. पॉलिथीन मिट्टी के साथ मिलकर उसमें पानी सोखने की क्षमता खत्म कर देते हैं. मिट्टी पानी खींचने का अपना स्वाभाविक गुण छोड़ देती है.
मंत्री ने मांगी पेयजल व्यवस्था पर रिपोर्ट
पेयजल एवं स्वच्छता सह जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने चैनपुर प्रखंड के पहाड़ पर बसे लुपुंगपाट व भड़ियापाट गांव में पेयजल व्यवस्था पर रिपोर्ट मांगी है. दोनों गांवों में पेयजल की किल्लत से संबंधित खबर प्रभात खबर में प्रकाशित होने के बाद मंत्री ने मामले पर संज्ञान लिया. गुमला के अधीक्षण अभियंता झरी उरांव से बात कर उन्हें संबंधित गांवों में जाने का निर्देश दिया. श्री चौधरी ने अभियंता को वहां की आबादी की जरूरत के हिसाब से पानी की जरूरत और उपलब्धता पर रिपोर्ट मांगी है.
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