रांची: निगरानी मंत्रिमंडल के निर्देश पर गुरुवार को निगरानी थाने में एक्सीलेरेड पावर डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) में हुई 107 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. प्राथमिकी में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड में वित्त पदाधिकारी रहे उमेश कुमार, पीके सिन्हा, निरंजन राय, एसएन चौधरी, जीएनएस मुंडा को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है. इनके खिलाफ निगरानी ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
उल्लेखनीय है कि एपीडीआरपी अंतर्गत रांची, खूंटी, रामगढ़, जामताड़ा और पाकुड़ के शहरी क्षेत्रों में 132 किलो वोल्ट ट्रांसमिशन लाइन सुदृढ़ीकरण का कार्य कराया गया था. इसमें बिजली बोर्ड के अधिकारियों ने निविदा नियमों का उल्लंघन कर पहले कंपनी से काम करवाया. बाद में दर का पुन: निर्धारण कर अतिरिक्त भुगतान कर दिया था.
इस मामले में निगरानी ने प्रारंभिक जांच संख्या 13/09 दर्ज की थी. जांच में बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वीएन पांडेय, वीएन वर्मा, बोर्ड के मेंबर जीएनएस मुंडा सहित 18 लोगों पर वित्तीय गड़बड़ी में शामिल होने का आरोप सही पाया. साथ ही इनके खिलाफ निगरानी मंत्रिमंडल से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी. निगरानी मंत्रिमंडल ने वित्तीय गड़बड़ी में शामिल लोगों के खिलाफ शर्त के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया.
शर्त के अनुसार, वैसे लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश था, जिनसे निगरानी पूछताछ कर चुकी है. साथ ही उनके खिलाफ साक्ष्य भी हैं. मामले में उक्त पांच लोगों से निगरानी पूछताछ कर चुकी थी. इसी आधार पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है. अन्य लोगों के खिलाफ अनुसंधान के दौरान पूछताछ होने पर प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.