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आंगनबाड़ी पर 85 फीसदी खर्च, फिर भी बदहाल

रांची: राज्य के 35881 आंगनबाड़ी व 2551 मिनी आंगनबाड़ी यानी कुल 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार सहित विभिन्न योजनाओं पर सरकार भारी रकम खर्च करती है. यह इसी बात से साफ है कि विभिन्न वित्तीय वर्षों में समाज कल्याण विभाग के कुल बजट का करीब 75 फीसदी हिस्सा इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष […]

रांची: राज्य के 35881 आंगनबाड़ी व 2551 मिनी आंगनबाड़ी यानी कुल 38432 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार सहित विभिन्न योजनाओं पर सरकार भारी रकम खर्च करती है. यह इसी बात से साफ है कि विभिन्न वित्तीय वर्षों में समाज कल्याण विभाग के कुल बजट का करीब 75 फीसदी हिस्सा इन्हीं आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से खर्च होता है. इतने पैसे खर्च करने के बाद भी राज्य में कुपोषित बच्चों व एनिमिक महिलाओं की संख्या अत्यधिक है. इधर विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों की मॉनिटरिंग के लिए पहले ही समाज कल्याण निदेशालय सहित विभिन्न जिलों में एक अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) सेल भी खोला है, जिसका वार्षिक स्थापना खर्च 80 लाख रुपये है.
आंगनबाड़ी केंद्रों में सुविधा नहीं : केंद्र की टीम के वर्ष भर पहले हुए भ्रमण के दौरान यह साफ हो चुका था कि आंगनबाड़ी केंद्र आधारभूत संरचना व जरूरी संसाधन के अभाव में चल रहे हैं. केंद्रीय टीम ने तब सोनाहातू, बुड़मू व सिल्ली सीडीपीअो कार्यालय सहित इनसे संबद्ध विभिन्न मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा किया था. तब सीडीपीअो कायार्लय में भी आधारभूत संरचना व स्टाफ और वाहन की कमी सहित प्रशिक्षण का अभाव जैसी कमियां मिली थीं.

वहीं, सोनाहातू के सोनाहातू, निनिडीह, बदाई तोर व पानदुडेह, बुड़मू कार्यालय के वर्मा, चापाटोली, बुड़मू, हिरसी, कांसी, पीपरा टोली, गांधीग्राम, तुरुप तेतर, हरातू व नारायण सोसो तथा सिल्ली सीडीपीअो कार्यालय से संबद्ध सिल्ली पूर्वी, सिल्ली पश्चिमी, लगाम व बड़ामुरी के मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों में भी जगह, मेडिकल व शैक्षिणक किट, खाना बनाने का ईंधन व शौचालय सहित विभिन्न कमी पायी गयी थी. यह स्थिति आज भी कमोबेश वही है. आखिर इतने खर्च का क्या फलाफल मिला, विभाग के पास इसके लिए कोई तर्क नहीं है.

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