दरअसल खेलगांव के रोड डिवाइडर पर तीसरी बार वृक्षारोपण किया जा रहा है. सबसे पहले वर्ष 2011 में आयोजित 34वें राष्ट्रीय खेल के दौरान वहां युद्ध स्तर पर गेंदा फूल सहित अन्य पौधे लगाये गये थे.
यह जगह खुली है तथा अासपास के गांव की बकरियां व मवेशी वहां घूमते हैं, इसलिए फूल-पौधे वे चर गये. यहां दूसरी बार फिर पौधरोपण किया गया था. वह भी नहीं बचा. अब तीसरी बार बगैर किसी घेरे के फिर से अपेक्षाकृत बड़े पौधे लगाये जा रहे हैं. अायोजन के बाद कहीं फिर यह खर्च बेकार तो नहीं जायेगा? जहां निजी खर्च का मामला हो, क्या हम वहां एेसा करेंगे? वहीं, हरमू रोड में भी राष्ट्रपति के आगमन को लेकर दूसरी बार घास और पाम के पौधे लगाये जा रहे हैं.