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विद्युत नियामक आयोग में छह माह से अध्यक्ष नहीं

रांची: झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसइआरसी) में अध्यक्ष का पद पिछले छह माह से खाली है. सरकार के एक और निगम तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड(टीवीएनएल) में भी नियमित एमडी नहीं हैं. यहां भी अध्यक्ष का पद रिक्त है. फिलहाल जेएसइबी अध्यक्ष को एमडी का प्रभार दिया गया है. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) […]

रांची: झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसइआरसी) में अध्यक्ष का पद पिछले छह माह से खाली है. सरकार के एक और निगम तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड(टीवीएनएल) में भी नियमित एमडी नहीं हैं. यहां भी अध्यक्ष का पद रिक्त है. फिलहाल जेएसइबी अध्यक्ष को एमडी का प्रभार दिया गया है. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) में भी नियमित एमडी नहीं है. खान सचिव को ही निगम के अध्यक्ष व एमडी का प्रभार दिया गया है.

टैरिफ प्रस्ताव लंबित
नियामक आयोग में अध्यक्ष नहीं होने की वजह से टैरिफ का प्रस्ताव लंबित है. आयोग के पास जनवरी माह से जेएसइबी, टाटा पावर, जुस्को, सेल बोकारो व डीवीसी के टैरिफ प्रस्ताव लंबित है. बताया गया कि अध्यक्ष न होने की वजह से टैरिफ का निर्धारण नहीं हो सकता. यहां 16 दिसंबर 2012 से अध्यक्ष का पद रिक्त है.

ऊर्जा विभाग के सूत्रों ने बताया कि नये अध्यक्ष की नियुक्ति का प्रस्ताव सरकार के पास है. वहीं आयोग में सचिव का पद भी एक अप्रैल 2013 से रिक्त है. आयोग में इस समय एक मात्र मेंबर(इंजीनियरिंग) टी मुनिकृष्णैया हैं. एक सदस्य होने के कारण टैरिफ पर फैसला नहीं लिया जा सकता. दूसरी ओर टीवीएनएल में भी पूर्णकालिक अध्यक्ष और एमडी नहीं हैं. अगस्त 2012 से ही जेएसइबी अध्यक्ष एसएन वर्मा को ही एमडी का प्रभार दिया गया है. अध्यक्ष का प्रभार ऊर्जा सचिव के पास है. निगम के सूत्रों ने बताया कि पूर्णकालिक एमडी न होने से निगम पर पूरा ध्यान नहीं दिया जाता.

निगम को नये पावर प्लांट पर काम करना है. लंबे समय से नये पावर प्लांट का प्रस्ताव लंबित है. हालांकि, जेएसइबी अध्यक्ष जरूरत पड़ने पर समय देते हैं. सरकार के एक और निगम जेएसएमडीसी में भी पूर्णकालिक अध्यक्ष और एमडी का पद रिक्त है. दो फरवरी 2012 से यहां एमडी का पद रिक्त है. पहले खान सचिव एके सरकार को एमडी का प्रभार दिया गया. उसके बाद खान सचिव सुनील कुमार को निगम के अध्यक्ष और एमडी का प्रभार दिया गया. निगम के सूत्र बताते हैं कि खान सचिव के एमडी होने का फायदा यह मिलता है कि खान विभाग में निगम की फाइलों पर तत्काल निर्णय लिया जाता है.

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