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विकास का मार्ग विसा से जाता है, सशक्त करें
सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा रांची : सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य के विकास का मार्ग विधानसभा से जाता है़ इसे सशक्त करने की जरूरत है़ कार्यपालिका और विधायिका को समन्वय बना कर चलना होगा़ सचेतकों के सम्मेलन में बोल रहे श्री किशोर ने कहा कि […]
सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा
रांची : सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य के विकास का मार्ग विधानसभा से जाता है़ इसे सशक्त करने की जरूरत है़ कार्यपालिका और विधायिका को समन्वय बना कर चलना होगा़
सचेतकों के सम्मेलन में बोल रहे श्री किशोर ने कहा कि झारखंड की संसदीय व्यवस्था देश में आदर्श होना चाहिए़ राज्य स्तर पर सचेतकों की बैठक कर झारखंड ने देश में एक अनूठा प्रयोग किया है़ झारखंड पहला राज्य है, जहां इस तरह का सम्मेलन हो रहा है़
श्री किशोर ने कहा कि विधानसभा में सचेतकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है़ इनकी जवाबदेही सदन के प्रति होती है कि कार्यवाही सही तरीके से चले़ पक्ष-विपक्ष के सचेतकों की भूमिका पर ही विधानसभा का सफल संचालन और मार्यादा कायम हो सकता है़
श्री किशोर ने कहा कि झारखंड ने देश के सामने संसदीय आचरण में मिसाल कायम की है़ आगे भी इसे जारी रखना चाहिए़ विधानसभा में सचेतकों की कमेटी, स्थायी कमेटी और परामर्शदात्री कमेटी बनाये जाने की आवश्यकता है़
सम्मेलन में विधानसभा सदस्यों की राय
जनता पूछती है, क्या जवाब दूं : राज सिन्हा
विधानसभा सदस्य राज सिन्हा ने कहा है कि जनता के सवालों का मेरे पास जवाब नहीं है. आठ महीने से मंत्री का दिया हुआ आश्वासन पूरा नहीं हो रहा है. थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए तीन-तीन घंटे बैठना पड़ता है. विधायिका की गरिमा को बरकरार रखने की जरूरत है. सरकार ने 11 महीने से विधायक फंड रिलीज नहीं किया है. जन प्रतिनिधि से लोगों की सबसे अधिक अपेक्षाएं रहती हैं. प्रश्नकाल किसी तरह बाधित नहीं होना चाहिए.
विधायकों की समस्या समझें : जेपी पटेल
विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि विधायकों की समस्याओं को समझने की जरूरत है. विधायिका की गरिमा कैसे बनी रहे, इसके लिए सभी दल के सदस्यों को एकजुट होना होगा. विधानसभा सदस्यों की गरिमा पिछले एक वर्ष में गिरी है. एसी-डीसी बिल के बहाने अधिकारी फंड रिलीज नहीं कर रहे हैं. उन्होंने विधायक कोष की राशि तीन करोड़ से बढ़ाने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि डीसी, डीडीसी स्तर के अधिकारियों में पैसे की हवस बढ़ी है.
पांच वर्ष से बंद है अस्पताल : जानकी यादव
विधायक जानकी यादव ने सम्मेलन में चलकुसा प्रखंड के बंद पड़े अस्पताल को खुलवाने का आग्रह किया.उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति को लेकर वे स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से मिले, पर अब तक कुछ नहीं हुआ. अस्पताल को खुलवाने की बात पर ही चुनाव जीता था. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष और अन्य से अस्पताल चालू करवाने की दिशा में कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया.
व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण हो : याेगेश्वर महतो
विधायक याेगेश्वर महतो ने कहा कि विधानसभा की व्यवस्था को सुदृढ़ करने की जरूरत है. सत्र के दौरान समय का दुरुपयोग न हो. पक्ष, विपक्ष दोनों को इसके लिए आगे आना होगा. नीतिगत फैसला लेना होगा. उन्होंने विधानसभा का सत्र 50 दिनों तक करने की मांग की. यह भी कहा कि लोकसभा और राज्यसभा की तरह स्टैंडिंग समितियां बने.
नयी चीजें सीखने की जरूरत : डॉ जीतू चरण
विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि नयी चीजें सीखने की जरूरत सभी सदस्यों को है. पदाधिकारी जन प्रतिनिधियों का आदर करें, इसके लिए खुद ही अच्छा बनना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य में विधायिका सर्वोपरी है. विधायिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की स्थिति न हो.
हम काम नहीं करा पाते : हरिकृष्ण सिंह
विधायक हरिकृष्ण सिंह ने कहा है कि सदन पर पूरे राज्य की आस्था रहती है. विधानसभा सदस्य पदाधिकारियों से काम नहीं करा पाते हैं. सदन में शोर-शराबे की वजह से प्रश्नकाल बाधित हो जाता है. विधायकों के सवाल पर पदाधिकारी गोल-मटोल जवाब देते हैं. हमें गुमराह किया जाता है. सदन में अंतरदलीय व्यवस्था बनाये रखने की बातें भी उन्होंने कही.
विधायक फंड के लिए 10 करोड़ मिले : मनीष
विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि राज्य में बीआरजीएफ और समेकित कार्य योजना (आइएपी) बंद है. ऐसे में 10 फीट की सड़क बनाने के लिए समहरणालय से लेकर राज्य मुख्यालय तक के चक्कर लगाने पड़ते हैं. उन्होंने विधायक फंड की राशि तीन करोड़ से बढ़ा कर 10 करोड़ करने की मांग की. उन्होंने कहा कि विधानसभा का नया भवन पर्यावरण के अनुकूल बने.
स्थिति देख कर फंड रिलीज हो : ताला मरांडी
विधायक ताला मरांडी ने कहा है कि क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए फंड रिलीज किया जाये. उन्होंने कहा है कि हमें अग्रणी राज्यों की अच्छी चीजों से सीख लेने की जरूरत है. संसदीय कार्यप्रणाली को बेहतर करने की आवश्यकता है. झारखंड के सभी जगहों पर अपेक्षित विकास नहीं हुआ है. हमें पूरी इमानदारी से राज्य के विकास के प्रति जवाबदेह बनने की जरूरत है.
पदाधिकारी सहयोग नहीं करते : जेपी वर्मा
विधायक जेपी वर्मा ने कहा कि राज्य के पदाधिकारी जन प्रतिनिधियों का सहयोग नहीं करते हैं. विधायकों का सम्मान भी नहीं करते हैं. कार्यपालिका अपनी जिम्मेवारी निभाये. एसपी, डीसी, बीडीओ और अन्य जन प्रतिनिधियों की संवेदनाअों को समझें और कार्रवाई करें. विधायक मद की राशि समय पर जारी की जाये और जनता की मांग पर पैसा बढ़ायी जाये.
भौगोलिक आधार पर राशि मिले : विरंची
विधायक विरंची नारायण ने कहा कि बोकारो में पांच लाख से अधिक वोटर और 419 बूथ हैं. जबकि लोहरदगा में 272 बूथ हैं. दोनों विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति में काफी अंतर है. पर विधायक कोष की राशि तीन करोड़ ही दी जाती है. भौगोलिक आधार और जनसंख्या के आधार पर विधायक मद की राशि रिलीज की जाये.
स्थानीय नीति पर सर्वदलीय बैठक हो : विमला
विधानसभा सदस्य विमला प्रधान ने कहा है कि स्थानीय नीति पर सभी दलों की बैठक होनी चाहिए. विधायिका का मजबूत रहने से ही राज्य का विकास संभव है. सत्ता पक्ष को विकास के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है. उन्होंने विधायक मद की राशि में बढ़ोतरी किये जाने की वकालत भी की.
सवालों का त्वरित निष्पादन करें : मेहता
विधायक एसबीपी मेहता ने कहा है कि विधानसभा की गरिमा कैसे बनी रहे, इस पर गहराई से सोंचने की जरूरत है. निवेदन समिति, शून्यकाल में पूछे गये सवालों का जवाब एक-एक वर्ष बाद भी नहीं मिलता है. सरकार सदस्यों के सवालों का तुरंत जवाब दे. विधायकों की ऐच्छिक निधि भी जल्द जारी की जाये. पदाधिकारी छोटे-छोटे मामलों को उलझा कर नहीं रखें.
विधायिका निरीह है, गरिमा तोड़ने का काम हुआ है : हेमंत
प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि सचेतकों का सम्मेलन एक अच्छा प्रयास है़ विधायिका कमजोर हुई है़ आज विधायिका सबसे निरीह लगती है़ आज विधायक-मंत्री काफी निराशाजनक स्थिति में है़
सदन के बाहर हम चर्चा कर रहे है़ विधायिका कैसे मजबूत बने, उसकी चर्चा सदन के अंदर होनी चाहिए़ सरकार एक विशेष सत्र बुला कर इस पर चर्चा कराये़ सदन की गरिमा तोड़ने-मरोड़ने का काम हुआ है़ हम सदन के बाहर इसका ऑपरेशन कर रहे है़ं विधायिका की गरिमा बचानी है, तो हमें अंदर झांकने की जरूरत है़ सदन के अंदर भी चर्चा हो़ समस्या का निराकरण होना चाहिए़
क्या-क्या प्रस्ताव पारित हुए
-17 वां अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन, विशाखापत्तनम की अनुशंसा को शीघ्र क्रियान्वित की जाये़
– विधानसभा का वर्ष में कम से कम 45-50 दिनों का सत्र हो़ वार्षिक कैलेंडर जारी किया जाये़
-विधानसभा के पक्ष-विपक्ष के सचेतकों की एक समिति बनायी जाये़ यह कमेटी सदन की कार्यवाही, सरकार के क्रियाकलाप पर विचार कर अपने सुझाव दे़
-लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर विधानसभा में कम से कम पांच-सात स्थायी कमेटी बनायी जाये़ परामर्शदात्री समिति का भी गठन हो़
-विधायकों के आदर्श आचार संहिता बनाने के लिए विभिन्न दलों के सचेतकों की एक कमेटी बनायी जाये़
-कार्य मंत्रणा समिति की बैठकों में सभी दलों के सचेतकों को भी सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जाये़
-कार्यपालिका और विधायिका में समन्वय बनाने के लिए मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री और विभिन्न दलों के सचेतकों की नियमित
बैठक बुलायी जाये़
-सरकार सदन के अंदर दिये गये आश्वासनों पर समय सीमा के अंदर अनुपालन सुनिश्चित करे़
-सरकार द्वारा विधानसभा सत्र आहूत करने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को भी भेजा जाये, जिससे वह अपना सुझाव दे सके़ं
-भारत सरकार के संसदीय कार्य विभाग की गतिविधियों-उपलब्धियों को विधानसभा के माध्यम से सचेतकों को भेज जाये़
-सत्र प्रारंभ होने से पहले सदन में आने वाले विषयों को लेकर सरकार जानकारी दे़
-विधायक मद की राशि मेें बढ़ोतरी की जाये़
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