रांचीः झारखंड की कवियत्री निर्मला पुतुल का चयन शैलप्रिया सम्मान के लिए किया गया है. शैलप्रिया स्मृति न्यास की ओर से यह प्रथम शैलप्रिया स्मृति सम्मान होगा. उन्हें यह सम्मान रांची में 15 दिसंबर 2013 को आयोजित एक कार्यक्रम में दिया जायेगा. सम्मानस्वरूप इन्हें 15 हजार रुपये, एक मानपत्र और शाल प्रदान किये जायेंगे. इस सम्मान के निर्णायक मंडल में रविभूषण, महादेव टोप्पो और प्रियदर्शन शामिल हैं.
निर्णायक मंडल के सदस्यों ने कहा कि निर्मला पुतुल की कविताओं में आदिवासी समाज की वेदना और वैभव मार्मिकता के साथ व्यक्त किये गये हैं. उनकी कविता में झारखंड के सांस्कृतिक-सामाजिक जीवन का समावेश है. निर्मला पुतुल ने शोषण और विस्थापन की ऐतिहासिक पीड़ा और विडंबना को शब्द दिये हैं. उनकी कविता झारखंड के सांस्कृतिक और समकालीन जीवन के प्रामाणिक पाठ की तरह आती है. जिसका एक उप पाठ स्त्री संवेदना और संघर्ष के विस्तार के रूप में दिखायी पड़ता है.
संक्षिप्त परिचय
निर्मला पुतुल का जन्म छह मार्च 1972 को दुमका जिला अंतर्गत दुधनी करूवा गांव में हुआ. इनके पिता सिरील मुरमू(अब स्वर्गीय) व मां कांदिनी हांसदा की पुत्री निर्मला ने राजनीतिशास्त्र में ऑनर्स करने के बाद नर्सिग में डिप्लोमा भी की. इनकी प्रमुख कृतियों में नगाड़े की तरह बजते शब्द, अपने घर की तलाश में, बांस, अब आदमी को नसीब नहीं होता आम, फूटेगा एक नया विद्रोह, मैंने अपने आंगन में गुलाब लगाये, बाघ, एक बार फिर, अपनी जमीन तलाशती बेचैन स्त्री आदि शामिल हैं. निर्मला पुतुल को इससे पूर्व मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान, भारत आदिवासी सम्मान, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार भी मिल चुके हैं.