अकेले टॉप टावर पर चढ़ गये थे अलबर्ट शहीद अलबर्ट एक्का के दोस्त डीएन दास, जो युद्ध में उनके साथ थे, ने आपबीती बतायी. 20 से अधिक गोली लगी थी अलबर्ट एक्का को.प्रतिनिधि, गुमलातीन दिसंबर 1971 के युद्ध का वह दृश्य आज भी रिटायर मेजर डीएन दास को याद है. श्री दास शहीद अलबर्ट एक्का के दोस्त हैं और वे युद्ध में अलबर्ट के साथ थे. श्री दास ने बताया कि 1971 के युद्ध में चारों ओर गोलियां चल रही थी. कहीं से आग के गोले निकल रहे थे. तो कहीं से हैंड ग्रेनेड व मोर्टार छोड़े जा रहे थे. कहीं सिर्फ धुआं ही धुआं नजर आ रहा था. हर पग पर खतरा था. उस समय लेफ्टिनेंट कर्नल विजय नारायण पन्ना थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया है. यह सूचना मिलते ही हम पाकिस्तान से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हो गये. अलबर्ट एक्का व मुझेे बी कंपनी में रखा गया. हमलोग दोनों साथ में थे. हमारा मोरचा गंगा सागर के पास था. वहीं पास रेलवे स्टेशन है. जहां पाकिस्तान के घुसपैठी अड्डा जमाये हुए थे. वहां 165 पाकिस्तानी थे. हमें गंगासागर के पास दो दिसंबर को पाक सेना पर आक्रमण करने का निर्देश दिया गया. आक्रमण से पहले हमलोगों ने वहां पास एक गड्ढा खोदा और सुरक्षा के दृष्टिकोण से वहां शरण ली. जिससे हवाई मार्ग से नजर रखनेवाले दुश्मनों की हम पर नजर न पड़े. तीन दिसंबर की रात 2.30 बजे हम रेलवे पार कर गये. उस समय मैं 20 वर्ष का व अलबर्ट एक्का 26 वर्ष के थे. जैसे ही हमनें रेलवे स्टेशन पार किये, पाकिस्तान सेना के संतरी ने हमें थम कहा. उस संतरी को गोली मार हम दुश्मन के इलाके में घुस गये. हमारे ऊपर एलएमजी बंकर से आक्रमण हुआ. तभी अलबर्ट एक्का ने बहादुरी का परिचय देते हुए अपनी जान की परवाह किये बिना अपना ग्रेनेड एलएमजी में डाल दिया. इससे पाक सेना का पूरा बंकर उड़ गया. इसके बाद हम जोश में आगे बढ़ते गये. 65 पाक सेना को मार गिराये और 15 को कैद कर लिया. रेलवे के आउटर सिग्नल इलाका को कब्जे में लेने के बाद वापस आने के दौरान टॉप टावर मकान के ऊपर में खड़ी पाक सेना ने अचानक मशीनगन से हम पर हमला कर दिया. इसमें 15 भारतीय सैनिक मारे गये. 15 भारतीय सैनिकों को मरता देख अलबर्ट एक्का दौड़ते हुए टॉप टावर पर चढ़ गये. उसके बाद टॉप टावर के मशीनगन को अपने कब्जे में लेकर दुश्मनों को तहस-नहस कर दिया. इस दौरान अलबर्ट को 20 से अधिक गोलियां लगी. पूरा शरीर गोलियों से छलनी हो गया था. वे टॉप टावर से नीचे गिर गये. जहां उन्होंने मेरे सामने अंतिम सांस ली. टॉप टावर से नीचे गिरने के बाद मैंने ही अलबर्ट एक्का को मोरफेन की सूई दी थी, परंतु देर हो चुकी थी. जारी के वीर सपूत अलबर्ट शहीद हो चुके थे. उसके बाद हम सैनिकों ने सभी पाक सैनिकों को मार गिराया था.
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अकेले टॉप टावर पर चढ़ गये थे अलबर्ट
अकेले टॉप टावर पर चढ़ गये थे अलबर्ट शहीद अलबर्ट एक्का के दोस्त डीएन दास, जो युद्ध में उनके साथ थे, ने आपबीती बतायी. 20 से अधिक गोली लगी थी अलबर्ट एक्का को.प्रतिनिधि, गुमलातीन दिसंबर 1971 के युद्ध का वह दृश्य आज भी रिटायर मेजर डीएन दास को याद है. श्री दास शहीद अलबर्ट एक्का […]
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