रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने राजधानी स्थित वार्ड 43 की पार्षद चंदा देवी को 800 रुपये रिश्वत लेते मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. चंदा देवी ने रिश्वत की राशि लीची बगान की महिला नेहा देवी, पति विवेक कुमार मंडल से राशन कार्ड देने के एवज में ली थी. उसकी गिरफ्तारी सुबह में […]
रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने राजधानी स्थित वार्ड 43 की पार्षद चंदा देवी को 800 रुपये रिश्वत लेते मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया. चंदा देवी ने रिश्वत की राशि लीची बगान की महिला नेहा देवी, पति विवेक कुमार मंडल से राशन कार्ड देने के एवज में ली थी. उसकी गिरफ्तारी सुबह में जगन्नाथपुर थाना स्थित न्यू कॉलोनी से हुई. गिरफ्तारी के बाद चंदा देवी को निगरानी कोर्ट में पेश किया गया. उसके बाद वहां से उसे 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. एसीबी की टीम की ओर से किसी भी पार्षद को रिश्वत लेते गिरफ्तार किये जाने का यह पहला मामला है.
एसीबी के चीफ आइजी मुरारी लाल मीणा के अनुसार नेहा देवी को जानकारी मिली थी कि उनका कार्ड बन कर तैयार है और पार्षद चंदा देवी के पास आया हुआ है. जब नेहा ने राशन कार्ड के लिए वार्ड पार्षद से संपर्क किया, तब उससे राशन कार्ड देने के एवज में एक हजार रुपये रिश्वत की मांग की गयी. बाद में पार्षद चंदा देवी 800 रुपये लेकर राशन कार्ड देने के लिए तैयार हुई. नेहा देवी रिश्वत देना नहीं चाहती थी. इस मामले की शिकायत उसने एसीबी के पास की. एसीबी चीफ के निर्देश पर जब मामले का सत्यापन किया गया, तब पाया गया कि चंदा देवी नेहा से आठ सौ रुपये रिश्वत लेकर राशन कार्ड देने को तैयार है. इसके बाद मंगलवार को एसीबी की टीम वार्ड पार्षद चंदा देवी के पास पहुंची और उसे 800 रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया.
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी चाहिए खर्चा-पानी
रांची. वार्ड पार्षद चंदा देवी के जैसे ही गिरफ्तारी हुई, इसकी सूचना पूरे शहर में फैल गयी. लोगों का कहना था कि पहली बार निगरानी ने रांची में किसी जनप्रतिनिधि को पकड़ा है. ये वही जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें जनता चुनती तो है अपनी सेवा के लिए, लेकिन जीत के बाद हर काम के लिए जनता से पैसे वसूलना इनका काम हो जाता है.
रांची नगर निगम के पार्षदों को नगर निगम की ओर से सात हजार रुपये का मानदेय मिलता है, लेकिन इनकी इच्छाएं अनंत हैं. कुछ पार्षद तो ऐसे हैं, जो लोगों से जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी फॉर्म पर हस्ताक्षर करने के लिए खर्चा-पानी की मांग करते हैं. वहीं सड़क व नाली के निर्माण में भी ठेकेदार से कमीशन की मांग करते हैं. कुछ पार्षद ऐसे भी हैं, जो लोगों के वृद्धा पेंशन के कार्ड को अपने पास रखे हुए हैं. जब भी वृद्धों के लिए पेंशन आता है, ये कार्ड लेकर सीधे बैंक पहुंच जाते हैं. बैंक से राशि निकालने के बाद पार्षद वृद्धों को कुछ राशि देते हैं, फिर कार्ड अपने पास रख लेते हैं. हालांकि नगर निगम में कुछ ऐसे भी पार्षद हैं जो जनता के लिए सर्वसुलभ हैं. जनता में भी उनके प्रति सम्मान है.
कमीशन नहीं मिलने पर करते हैं हल्ला
नगर निगम की ओर से गली मोहल्ले में सड़क व नाली का निर्माण कराया जाता है. यहां पार्षद अपनी डिमांड पहले ही ठेकेदार के पास रख देते हैं. यदि पार्षद की मांग पूरी होती है, तो सबकुछ ठीक है. मांग पूरी नहीं होने पर ये हंगामा करते हैं और निर्माण की जांच की मांग करते हैं. अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं कि संबंधित ठेकेदार की राशि रोकी जाये, क्योंकि निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं हुआ है.