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सरना समाज ने किया आरएसएस के सह सरकार्यवाह के बयान का विरोध, मोहन भागवत व डॉ कृष्ण गोपाल का पुतला फूंका
सरना समाज के विभिन्न संगठनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल के उस बयान पर विरोध जताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि सरना समाज भी हिंदू धर्म के अंग हैं. सरना समाज ने बयान इस को समुदाय की अलग पहचान को खत्म करनेवाला बताया है. आिदवासी संगठनों ने आरएसएस प्रमुख […]
सरना समाज के विभिन्न संगठनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल के उस बयान पर विरोध जताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि सरना समाज भी हिंदू धर्म के अंग हैं. सरना समाज ने बयान इस को समुदाय की अलग पहचान को खत्म करनेवाला बताया है. आिदवासी संगठनों ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत व सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल का पुतला फूंक कर अपना िवरोध जताया और अलग धर्मकोड की मांग की.
रांची : सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा है कि डॉ कृष्ण गोपाल या आरएसएस को /यह तय करने का हक नहीं है कि सरना समुदाय किस धार्मिक व्यवस्था के तहत आते हैं. उन्होंने पूछा कि संविधान में कहां लिखा है कि सरना हिंदू धर्म के अंग हैं. वहीं, आदिवासी सरना धर्म समाज के लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा है कि डॉ कृष्ण गोपाल को बताना चाहिए कि हिंदू धर्म में आदिवासी किस स्थान पर हैं? उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में वर्णभेद है, आदिवासी समाज में नहीं. आरएसएस समूचे प्रकृतिपूजक समाज को हिंदू धर्म से जोड़ कर उनकी पहचान खत्म करना चाहता है.
आदिवासी जनपरिषद के प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि आदिवासी समाज या सरना समुदाय की अपनी अलग धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान है. इस पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है. शिवा कच्छप ने संघ के नेता के बयान को सरना समुदाय को खत्म करने की साजिश बताया अौर कहा कि झारखंड अौर अन्य राज्यों के आदिवासी अलग धर्मकोड की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह का बयान उचित नहीं है.
आदिवासियों को धर्म कोड देना होगा: फूलचंद
रांची . केंद्रीय सरना समिति ने सरना को हिंदू बताने के खिलाफ अलबर्ट एक्का चौक पर जोरदार प्रदर्शन किया़ अलबर्ट एक्का चौक पर नारेबाजी के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत व सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल का पुतला जलाया. अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि केंद्रीय सरना समिति लगातार सरना आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग कर रही है़ हमें अलग धर्म कोड देना होगा़ सरना आदिवासियों के जन्म से मृत्यु तक के सभी संस्कार हिंदुओं, मुसलानों, ईसाइयों और अन्य धर्मावलंबियों से भिन्न है़ं उनकी अलग धार्मिक आस्था और पृथक पहचान है़ आदिवासियों को अलग धर्म कोड नहीं देकर उन्हें कभी हिंदू तो कभी ईसाई से जोड़ा जाता है़ सरना आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है़ इस मौके पर सत्यनारायण लकड़ा, निरंजना हेरेंज टोप्पो, शोभा कच्छप, नीरा टोप्पो, पुष्प उरांव, मुन्ना टोप्पो, बाना मुंडा, प्रदीप लकड़ा, रामाजीत नायक, विक्रम मुंडा, सुखदेव मुंडा, सीता खलखो, बहामीन खलखो व अन्य मौजूद थे़.
धर्मांतरण करना चाहता है आरएसएस : बंधन
आदिवासी सरना महासभा ने सरना आदिवासियों को हिंदू बताने के खिलाफ अलबर्ट एक्का चौक पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और सह सरकार्यवाह डाॅ कृष्ण गोपाल का पुतला फूंका़ मौके पर धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आरएसएस गलत बयान देकर सरना आदिवासियों का जबरन धर्मांतरण करना चाहता है़ सरना आदिवासियों की आस्था, उनका धर्म तय करने का अधिकार आरएसएस को किसने दिया? हमारे रीति-रिवाज, हमारा रहन-सहन हर तरह से हिंदुओं से भिन्न है़ वे हिंदू लॉ से संचालित होते हैं, वहीं हम कस्टमरी लॉ से चलते है़ं हमारी पूजन पद्धति भी भिन्न है़ वे मूर्ति पूजा करते हैं, तो हम प्रकृति के उपासक है़ं हम हर पूजा से पहले मुर्गे की बलि चढ़ाते है़ं क्या वे ऐसा करते हैं? अलग धर्म कोड के लिए राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा पूरे देश में आंदाेलन को और तेज करेगी़.
मेन रोड होते हुए मुड़मा तक जुलूस निकाला
मौके पर डॉ करमा उरांव, प्रो प्रवीण उरांव, दिनेश उरांव, विश्वनाथ तिर्की, जतरू उरांव, रंथू उरांव, रवि तिग्गा, अनिल तिग्गा, अनिल उरांव, बहन करमी उरांव, बहन रेणु उरांव समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे़ पुतला दहन के बाद अलबर्ट एक्का चौक से सिरमटोली, अरगोड़ा होते हुए मुड़मा तक जुलूस निकाला.
आरएसएस का असली चेहरा सामने आया : देवकुमार धान
रांची . पूर्व विधायक देवकुमार धान ने कहा कि आरएसएस ने चुनाव जीतने के लिए मुसलमानाें व ईसाइयों के खिलाफ सरना आदिवासियों का इस्तेमाल किया. अब उन्हें बलि का बकरा बना रहा है़ आरएसएस का असली चेहरा आदिवासियों के सामने आ गया है़ आरएसएस आदिवासियों के अलग धर्म कोड के खिलाफ है, क्योंकि ऐसा करने से उसके हिंदू राष्ट्र के सपने को धक्का पहुंचेगा़ देश में आदिवासियों की संख्या 12 करोड़ से भी अधिक है़ उनके सपनों को तोड़ना घातक होगा़.
वीरेंद्र भगत ने कहा कि यह देश धर्मनिरपेक्ष है, जिसमें सभी को अपना धर्म मानने की आजादी है़ सिख, जैन, बौध, सभी काे धर्म कोड मिला है, तो प्रकृतिपूजक आदिवासियों को क्यों नहीं? शिवा कच्छप ने कहा कि हिंदुओं व सरना आदिवासियों के रीति- रिवाज बिलकुल अलग है़ं आरएसएस बताये कि हिंदू वर्ण व्यवस्था में आदिवासियों को कहां रखा गया है? एक साजिश के तहत देश के 12 करोड़ आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त करने की कोशिशें हाे रही है़ं.
जरूरत हुई, तो सुप्रीम कोर्ट जायेंगे : सालखन
रांची . पूर्व सांसद सह झारखंंड दिशोम पार्टी और आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि सभी आदिवासी हिंदू नहीं है़ं आरएसएस के डॉ कृष्ण गोपाल का सरना आदिवासियों को हिंदू बताना संविधान की धारा 25 (1) के तहत संविधान का अपमान है़ आदिवासियों में वर्ण व्यवस्था नहीं है़ पूजा- पाठ व अन्य क्रिया कलापों में ब्राह्मणों की व्यवस्था भी नहीं है़ इस समाज में सभी बराबर है़ं उन पर जबरन हिंदू धर्म थोपना उनकी आजादी की हत्या है़ कटक उच्च न्यायाल में सरना कोड के लिए याचिका भी दायर की गयी है़ जरूरत पड़ी, तो धार्मिक हमले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे़ आदिवासियों को वनवासी कहना भी गलत है़.
आदिवासी- मूलवासी विरोधी है संघ
रांची . आदिवासी छात्र संघ (एसीएस) ने कहा है कि आरएसएस द्वारा आदिवासियों को हिंदू बताना अनुचित ही नहीं, दुर्भाग्यपूर्ण है़ इस मुद्दे पर रविवार को हुई केंद्रीय समिति की बैठक में प्रो सतीश कुमार भगत ने कहा कि सरना समाज प्रकृति का पुजारी है़ यह मूर्ति पूजा नहीं करता़ जनजातीय समाज किसी भी हालत में हिंदू नहीं है़ इसका विरोध सभी 32 जनतातियों के लाेग मिल कर करेंगे़ आरएसएस आदिवासी और मूलवासी विरोधी है़ बैठक में सोमनाथ लकड़ा, सुरेश टोप्पो, रामकेश्वर बड़ाईक, सुरेश महली, बिरसा पाहन, बसंत बिनहा, उमेश महली, पूरन कच्छप, महवीर उरांव, सोमा भगत, सुदेश उरांव, नंदू तिर्की व अन्य शामिल थे़.
सरना को हिंदू बताने की निंदा
रांची. आदिवासी जनपरिषद की बैठक रविवार को करमटोली स्थित कार्यालय में हुई. बैठक में आरएसएस द्वारा सरना समुदाय को हिंदू बताने की निंदा की गयी. कहा गया कि प्रकृति पूजक आदवासियों को हिंदू कोड बिल के तहत मानना गलत है. बैठक में पंचायत चुनाव सहित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गयी. कहा गया कि पंचायत चुनाव को बेहतर तरीके से संचालित किया जाये. साथ ही पंचायतों को पेसा कानून की धारा चार के तहत प्रदत्त शक्तियां प्रदान की जाए. 15 नवंबर तक स्थानीय नीति घोषित करने की मांग की गयी. कहा गया कि ऐसा नहीं होने पर स्थानीयता को लेकर आंदोलन अौर तेज किया जायेगा. इसके अलावा लोहरा जाति को जनजाति का प्रमाण पत्र देने की भी मांग की गयी. बैठक में प्रेमशाही मुंडा, अभय भुंटकुंवर, गोपाल बेदिया, श्रवण लोहरा,किष्टो कुजूर, चतुर बड़ाईक, सिकंदर मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे.
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