वर्तमान स्पीकर दिनेश उरांव की पहल पर वर्तमान सरकार ने एकबार फिर नये भवन के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है़ मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा बाउंडरी का काम शुरू कराया़ 369 करोड़ की लागत से बननेवाली नयी विधानसभा देश में अपनी भव्यता के लिए जानी जायेगी़ करीब 38 एकड़ के परिसर में इसके निर्माण की योजना है़ इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. इस भवन में झारखंडी संस्कृति दिखेगी. हॉल में 150 विधायकों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसकी डिजाइन तैयार की गयी है़ इसे पूरा करने के लिए सरकार को टाइम बाउंड काम करने की जरूरत है़ काम के प्रति जवाबदेही भी तय करने की जरूरत है़
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नये विधानसभा भवन की उम्मीद जगी
रांची: राज्य गठन के बाद से ही विधानसभा के नये भवन की योजना बनायी गयी, लेकिन अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया है़ 15 वर्षों के बाद अब इसके निर्माण की आस जगी है़ . एचइसी परिसर के रसियन हॉस्टल के छोटे से भवन से भव्य विधानसभा भवन बनने की उम्मीद जगी है़ पूर्व […]
रांची: राज्य गठन के बाद से ही विधानसभा के नये भवन की योजना बनायी गयी, लेकिन अभी तक इसका निर्माण नहीं हो पाया है़ 15 वर्षों के बाद अब इसके निर्माण की आस जगी है़ . एचइसी परिसर के रसियन हॉस्टल के छोटे से भवन से भव्य विधानसभा भवन बनने की उम्मीद जगी है़ पूर्व स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता के कार्यकाल में 21 जनवरी 2014 को नये भवन का शिलान्यास हुआ़, लेकिन यह राजनीतिक पेंच में फंस गया़ जमीन को लेकर विवाद हुआ़.
वर्तमान स्पीकर दिनेश उरांव की पहल पर वर्तमान सरकार ने एकबार फिर नये भवन के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है़ मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विधानसभा बाउंडरी का काम शुरू कराया़ 369 करोड़ की लागत से बननेवाली नयी विधानसभा देश में अपनी भव्यता के लिए जानी जायेगी़ करीब 38 एकड़ के परिसर में इसके निर्माण की योजना है़ इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. इस भवन में झारखंडी संस्कृति दिखेगी. हॉल में 150 विधायकों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसकी डिजाइन तैयार की गयी है़ इसे पूरा करने के लिए सरकार को टाइम बाउंड काम करने की जरूरत है़ काम के प्रति जवाबदेही भी तय करने की जरूरत है़
नहीं हुई दो हजार से ज्यादा अाश्वासनों पर कार्रवाई
विधानसभा के दो हजार से ज्यादा आश्वासन विभागों में लंबित है़ं विभागों द्वारा सवालों के सीधे जवाब नहीं दिये जाते़ विधानसभा में उठनेवाले सवालों पर कार्रवाई सुनिश्चित नहीं होती़ वर्तमान में विधानसभा की कार्य प्रणाली बदलने की कोशिश हो रही है़ विभिन्न सत्रों के लंबित सवालों के जवाब समय सीमा के अंदर विभागों को देने के लिए बाध्य किया जा रहा है़ संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने इसके लिए विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चत करने की बात कही है़ आश्वासनों पर विभागोें से सटीक जवाब मांगे जा रहे है़ं जो आश्वासन प्रासंगिक नहीं है, उन्हें सूची से हटाया जायेगा़
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