मन साफ हो, तभी ईश्वर मिलते हैं : जसजीत जीतसवीर सिटी मे हैवरीय संवाददाता, रांचीईश्वर ऐसे नहीं मिलते हैं. वह तभी मिलते हैं, जब मन साफ हो. परामात्मा को पाने के लिए सबसे आवश्यक गुण है सीधा, सरल व मासूम होना, दुनिया के झूठ, फरेब व चतुराई से दूर रहना. दूसरा जरूरी गुण है अंदर से खाली होना और इच्छारहित हो जाना. एक ऐसी अवस्था जहां मन कोई गतिविधि नहीं करता. आप सिर्फ आत्मा की आवाज पर चलते हैं. जब अपनी इच्छाएं बचती ही नहीं, तब हम हरि से जुड़ जाते हैं. यह कहना है सद्गुरु मां जसजीत जी का. वे शुक्रवार को मोरहाबादी स्थित राजकीय अतिथिशाला में पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं. राजधानी रांची में आयोजित तीन दिवसीय (20, 21 व 22 नवंबर) कार्यक्रम में अपने भक्तों के बीच प्रवचन का रसपान करेंगी. उन्हाेंने बताया कि वर्ष 1993 में ईश्वर के साक्षात दर्शन हुए. तब से लेकर आज तक भगवान के बताये रास्ते पर चल कर लोगों की सेवा करना ही अपना धर्म मान चुकी हैं. जीवन का उद्देश्य सत्कर्म करना, सच्चा कर्मयोगी बनना, ईश्वर की भक्ति करना व उस अलौकिक शक्ति से जुड़े रहना है.
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मन साफ हो, तभी ईश्वर मिलते हैं : जसजीत जी
मन साफ हो, तभी ईश्वर मिलते हैं : जसजीत जीतसवीर सिटी मे हैवरीय संवाददाता, रांचीईश्वर ऐसे नहीं मिलते हैं. वह तभी मिलते हैं, जब मन साफ हो. परामात्मा को पाने के लिए सबसे आवश्यक गुण है सीधा, सरल व मासूम होना, दुनिया के झूठ, फरेब व चतुराई से दूर रहना. दूसरा जरूरी गुण है अंदर […]
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