अशोक सिंघल को विकास भारती में दी गयी श्रद्धांजलिरांची : विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल के निधन पर बुधवार को विकास भारती बिशुनपुर के रांची कार्यालय में शोकसभा का आयोजन किया गया. इसमें स्वर्गीय सिंघल को श्रद्धांजलि दी गयी. संस्था के सचिव अशोक भगत ने बताया कि वर्ष 1942 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूर्ण कर स्वर्गीय सिंघल संघ के प्रचारक बने. अपने विलक्षण व्यक्तित्व के कारण उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से 1980 से 90 के दशक में विश्व में हिंदुत्व की अलख जगायी. उनके प्रयास से भारतीय राजनीति को नयी दिशा मिली. आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कृति हमेशा दिशा प्रदान करती रहेगी. 25 को रांची पहुंचेगा अशोक सिंघल का अंतिम कलशविश्व हिंदू परिषद् के प्रांतीय कार्यालय शक्ति आश्रम में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के वरिष्ठ सदस्य अशोक सिंघल के निधन पर शोकसभा का आयोजन किया गया. दो मिनट का मौन रख कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गयी. स्वर्गीय सिंघल का अंतिम कलश 25 नवंबर को रांची पहुंचेगा. उस दिन वृहत श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जायेगा. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि गोल्ड मेडलिस्ट होने के बावजूद स्वर्गीय सिंघल ने नौकरी, व्यवसाय और विवाह न करने का संकल्प लिया. रज्जू भैया के संपर्क में आकर राष्ट्र और धर्म संस्कृति का कार्य करने के लिए संघ के प्रचारक बने. उन्हें वर्ष 1981 में विहिप का केंद्रीय मंत्री बनाया गया. वर्ष 1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रथम धर्म संसद की बैठक हुई. इसमें श्रीरामजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन का निर्णय लिया गया. तब से इनका आंदोलन निरंतर चलता रहा. शोकसभा में देवी प्रसाद शुक्ला, विरेंद्र विमल, सुशील दुबे, प्रमोद मिश्र, गिरिजाशंकर पांडेय, रंगनाथ महतो, अजय अग्रवाल, डॉ विरेंद्र साहु, राज किशोर, कृष्ण कुमार झा, प्रकाश चंद्र सिन्हा, कन्हैया लाल, जीवानंद मिश्रा, राजेश्वर सिंह समेत कई लोगों ने स्वर्गीय सिंघल को श्रद्धांजलि दी.
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अशोक सिंघल को विकास भारती में दी गयी श्रद्धांजलि
अशोक सिंघल को विकास भारती में दी गयी श्रद्धांजलिरांची : विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल के निधन पर बुधवार को विकास भारती बिशुनपुर के रांची कार्यालय में शोकसभा का आयोजन किया गया. इसमें स्वर्गीय सिंघल को श्रद्धांजलि दी गयी. संस्था के सचिव अशोक भगत ने बताया कि वर्ष 1942 में इंजीनियरिंग की […]
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