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नये प्रखंडों के केवल सेट-अप पर हो रहे कई अरब खर्च

नये प्रखंडों के केवल सेट-अप पर हो रहे कई अरब खर्च53 प्रखंडों के सेट-अप पर होने हैं छह अरब खर्च, अब तक हो गये आधा से ज्यादा खर्चहर साल वेतन आदि पर भी प्रत्येक प्रखंड में हो रहे हैं 55 लाख खर्च, 53 नये प्रखंडों पर सालाना 29 करोड़ का है खर्चप्रखंड गठन का उद्देश्य […]

नये प्रखंडों के केवल सेट-अप पर हो रहे कई अरब खर्च53 प्रखंडों के सेट-अप पर होने हैं छह अरब खर्च, अब तक हो गये आधा से ज्यादा खर्चहर साल वेतन आदि पर भी प्रत्येक प्रखंड में हो रहे हैं 55 लाख खर्च, 53 नये प्रखंडों पर सालाना 29 करोड़ का है खर्चप्रखंड गठन का उद्देश्य नहीं हो रहा है पूरामनोज लालरांची. राज्य के नये प्रखंडों के केवल सेट-अप पर करीब छह अरब खर्च होंगे. आधा से ज्यादा राशि तो खर्च भी हो गये हैं. शेष राशि से काम कराने की प्रक्रिया चल रही है. यानी नये प्रखंड कार्यालय के लिए आधारभूत संरचना सहित अन्य कार्यों में यह राशि खर्च हो रही है. हर प्रखंड को आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए करीब 11 करोड़ रुपये मिलते हैं. इस हिसाब से 53 प्रखंडों में करीब छह अरब रुपये खर्च हो रहे हैं. इस राशि में से चार से पांच करोड़ रुपये का खर्च प्रखंड भवन बनाने में आयेगा. प्रखंड भवन में ही प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के भी कार्यालय बन रहे हैं. शेष राशि अन्य आधारभूत संरचना तैयार करने में खर्च हो रहे हैं. एक प्रखंड पर सालाना 55 लाख का खर्चएक प्रखंड कार्यालय के संचालन पर करीब 55 लाख रुपये का सालाना खर्च है. इसमें स्थापना मद की राशि से लेकर संबंधित सारे खर्च जुड़े हुए हैं. एक प्रखंड को 55 लाख रुपये मिलते हैं, तो इस हिसाब से नये 53 प्रखंडों में सालाना करीब 29 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ये प्रखंड राज्य गठन के बाद अलग-अलग समय में बने हैं. कुछ प्रखंडों का गठन तो 10 साल पहले हुआ है. इन प्रखंड कार्यालय के खर्च के अलावा प्रखंड मुख्यालय में स्थित अन्य विभागों कृषि, स्वास्थ्य आदि पर भी खर्च बढ़े हैं. एक आकलन के मुताबिक करीब डेढ़-दो अरब रुपये स्थापना आदि मदों पर खर्च हुए हैं.बरबाद भी हो रहा है पैसाजानकारी के मुताबिक प्रखंडों के गठन में विसंगतियों की वजह से सरकारी राशि का बड़ा नुकसान हो रहा है. कहीं-कहीं इतना छोटा प्रखंड है कि उसे बनाने का कोई औचित्य नहीं है. पुराने प्रखंड से ही उसका काम चल जाता. ऐसा विभागीय अफसरों का भी मानना है. तीन से लेकर पांच पंचायतों के प्रखंडों में इतनी बड़ी राशि का खर्च होने को पैसे का दुरुपयोग माना जा रहा है. गढ़वा में ऐसा ही है. यहां तीन पंचायत का एक प्रखंड है. इस पर भी उतनी ही राशि खर्च होनी है, जितनी की बड़े प्रखंड के सेट अप पर. विभाग ने पाया : नहीं हो रहा है लाभग्रामीण विकास विभाग ने समीक्षा में पाया है कि राज्य में प्रखंडों की संख्या बढ़ा कर 211 से 264 कर देने का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रखंड गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है. विभागीय अफसरों का मानना है कि प्रखंड का गठन भौगोलिक दृष्टिकोण व लोगों के लाभ को देख कर किया जाना चाहिए. इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ न हो. विभागीय अफसरों ने पाया कि प्रखंड तो बन गये, पर पर्याप्त अफसर नहीं हैं. बीडीअो दफ्तर में नहीं रहते. प्रशासन का पूरी तरह विकेंद्रीकरण नहीं हुआ. प्रखंड बने, पर अंचल नहीं. सारे विभागों का सेट-अप तैयार नहीं हुआ.

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