बच्चों को साक्षर नहीं शिक्षित करें -डॉ शाहिद हसन, वरीय प्राध्यापक, स्नातकोत्तर मनोविज्ञान, रांची विविहम बच्चों को साक्षर कर रहे हैं, शिक्षित नहीं. सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. प्राइवेट स्कूलों में डोनेशन काफी अधिक हो गया है़ प्रतियोगिता के इस दौर में बुनियादी शिक्षा समाप्त हो गयी है. साहित्य की पढ़ाई को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान जरूरी है. पहले बच्चों को शुद्ध भाषा लिखने व बोलने पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके बाद ही साइंस एंड टेक्नोलॉजी पढ़ाएं. आज काउंसलिंग साइकोलॉजी का महत्व बढ़ गया है. जरूरत है कि हर स्कूल में काउंसलर हो. यह पहल सरकार की तरफ से हो. हर स्कूल में बच्चों का मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल बनाया जाना चाहिए. इससे यह पता चल सके कि बच्चों में किस तरह की योग्यता है. वह बड़ा होकर साहित्यकार बनेगा या डॉक्टर, इंजीनियर या बिजनसमैन बनेगा. शिक्षाविदों को चाहिए कि पाठ्यक्रम का निर्माण मानसिक आयु अौर वास्तविक आयु के बीच सही संतुलन स्थापित करने के बाद ही किया जाये. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों के साथ मित्र की तरह व्यवहार करें अौर कुछ भी काम करें या सलाह दें, तो उनको विश्वास में लेकर करें. इससे उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा अौर भविष्य में अच्छा नागरिक होंगे. प्रसिद्ध मनोविश्लेषक सिगमंड फ्रायड की मान्यता है कि बच्चे प्रारंभिक अवस्था में जिस प्रकार की अनुभूतियां विकसित करते हैं, उन अनुभूतियों का ही प्रभाव उनके वयस्क जीवन पर पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चों के भविष्य को संवारने में बाल्यावस्था के महत्व को समझ कर बच्चों को मानसिकता के अनुरूप उनके व्यक्तित्व को विकसित किया जा सके.
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बच्चों को साक्षर नहीं शक्षिति करें
बच्चों को साक्षर नहीं शिक्षित करें -डॉ शाहिद हसन, वरीय प्राध्यापक, स्नातकोत्तर मनोविज्ञान, रांची विविहम बच्चों को साक्षर कर रहे हैं, शिक्षित नहीं. सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. प्राइवेट स्कूलों में डोनेशन काफी अधिक हो गया है़ प्रतियोगिता के इस दौर में बुनियादी शिक्षा समाप्त हो गयी है. साहित्य की पढ़ाई को प्राथमिकता मिलनी […]
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