धनबाद जिले के पांच प्रखंडों टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची, बलियापुर एवं निरसा में धान की खेती होती है. इस वर्ष यहां 43 हजार हेक्टेयर भूमि में धनरोपनी का लक्ष्य था. जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी के अनुसार पूरे जिले में इस वर्ष 37.325 हेक्टेयर भूमि में धनरोपनी हुई. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण अधिकांश खेतों में धान पीला पड़ चुका है. वैसे ही खेत में फसल बची हुई है जो निचले इलाके में हैं, जहां पानी जमा होता है. ऊपरी क्षेत्र वाले खेतों की पूरी फसल सूख गयी है. हथिया नक्षत्र में भी इस बार पानी नहीं पड़ने से किसानों की सारी आस खत्म हो गयी है. जिला कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष सितंबर में केवल 97.5 एमएम बारिश हुई. जबकि वर्ष 2014 के सितंबर में 230 एमएम बारिश हुई थी.
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कोयलांचल : 80 % फसल बरबाद
धनबाद: कमजोर मानसून के कारण धनबाद में धान की फसल बरबाद हो गयी. 80 प्रतिशत से अधिक खेती सूख गयी. किसानों को अब भविष्य की चिंता सता रही है. धनबाद जिले के पांच प्रखंडों टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची, बलियापुर एवं निरसा में धान की खेती होती है. इस वर्ष यहां 43 हजार हेक्टेयर भूमि में […]
धनबाद: कमजोर मानसून के कारण धनबाद में धान की फसल बरबाद हो गयी. 80 प्रतिशत से अधिक खेती सूख गयी. किसानों को अब भविष्य की चिंता सता रही है.
धनबाद जिले के पांच प्रखंडों टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची, बलियापुर एवं निरसा में धान की खेती होती है. इस वर्ष यहां 43 हजार हेक्टेयर भूमि में धनरोपनी का लक्ष्य था. जिला कृषि पदाधिकारी दिनेश कुमार मांझी के अनुसार पूरे जिले में इस वर्ष 37.325 हेक्टेयर भूमि में धनरोपनी हुई. लेकिन बारिश नहीं होने के कारण अधिकांश खेतों में धान पीला पड़ चुका है. वैसे ही खेत में फसल बची हुई है जो निचले इलाके में हैं, जहां पानी जमा होता है. ऊपरी क्षेत्र वाले खेतों की पूरी फसल सूख गयी है. हथिया नक्षत्र में भी इस बार पानी नहीं पड़ने से किसानों की सारी आस खत्म हो गयी है. जिला कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष सितंबर में केवल 97.5 एमएम बारिश हुई. जबकि वर्ष 2014 के सितंबर में 230 एमएम बारिश हुई थी.
वैकल्पिक तैयारी नहीं
धनबाद जिले में कहीं भी वैकल्पिक खेती की कोई तैयारी नहीं हुई. जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार वर्ष 2014 में भी शुरुआत में कम बारिश हुई थी. लेकिन बाद में अच्छी बारिश होने के कारण वैकल्पिक खेती की जरूरत नहीं पड़ी. इस वर्ष भी यहां अंत में अच्छी बारिश की उम्मीद थी. इसके चलते यहां वैकल्पिक खेती की तैयारी नहीं की गयी. जो स्थिति बनी है उसमें धनबाद जिला को सूखाग्रस्त करने की संभावना प्रबल हो गयी है. किसान भी चाहते हैं कि जिला सूखाग्रस्त घोषित हो जाये.
कोल्हान में सबसे बुरी हालत पश्चिम सिंहभूम की
चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के पांच प्रखंड नोवामुंडी, कुमारडुंगी, गुदड़ी, मनोहरपुर व आनंदपुर में सूखे के आसार बन गये हैं. इन प्रखंडों में सामान्य से 50 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गयी है. मनोहरपुर व आनंदपुर प्रखंड में जून से सितंबर तक सामान्य 1196.8 एमएम की तुलना में 623.2 एमएम, साेनुवा व गुदड़ी प्रखंड में 1221.2 एमएम की तुलना में 698 एमएम व नोवामुंडी प्रखंड में 1034.4 एमएम की तुलना में 500.4 बारिश हुई है. वहीं बाकी के 12 प्रखंडों चाईबासा, जगन्नाथपुर, मंझगांव, खुंटपानी, झींकपानी, टोंटो, मंझारी, तांतनगर, हाटगम्हरिया, चक्रधरपुर, सोनुवा व बंदगांव प्रखंड में कम बारिश के चलते आंशिक सूखे के आसार हैं. जबकि गोईलकेरा प्रखंड जून से अगस्त तक सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है. लेकिन सितंबर माह में जिले के सभी प्रखंडों में सामान्य से कम बारिश हुई है. कुल मिलाकर अप्रैल से लेकर सितंबर तक के आंकड़े को देखा जाये तो अप्रैल से जिले में 68 फीसदी बारिश ही रिकाॅर्ड की गयी है.
पुआल में बदली फसल
मनोहरपुर और आनंदपुर की स्थिति ज्यादा खराब है. यहां जुलाई माह में महज 36 मिमी, अगस्त में 78 मिमी तथा सितंबर में 28 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. धान की खेती के लिये औसतन प्रतिमाह 188 मिमी बारिश होनी चाहिये. बारिश नहीं होने से खेतों में दरार पड़ गयी है या धान की फसल पुआल में बदल गयी है. मनोहरपुर प्रखंड के प्रभारी कृषि पदाधिकारी दुल्लूराम बोदरा ने बताया कि सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन से वैकल्पिक खेती के लिये अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध कराने की मांग की गयी है. लेकिन अब तक बीज उपलब्ध नहीं हो सकी है.
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