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बालिकाओं का भविष्य संकट में

* झारखंड में ट्रैफिकिंग गंभीर चुनौती, कड़ाई जरूरी रांची : झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) बड़ी समस्या बन चुका है. स्थिति की गंभीरता का आकलन इससे लगाया जा सकता है कि इस मामले में भी झारखंड की पहचान स्थापित होती चुकी है. हालांकि, यहां से पलायन करनेवाली बालिकाओं व महिलाओं की सही संख्या का […]

* झारखंड में ट्रैफिकिंग गंभीर चुनौती, कड़ाई जरूरी

रांची : झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) बड़ी समस्या बन चुका है. स्थिति की गंभीरता का आकलन इससे लगाया जा सकता है कि इस मामले में भी झारखंड की पहचान स्थापित होती चुकी है.

हालांकि, यहां से पलायन करनेवाली बालिकाओं व महिलाओं की सही संख्या का ज्ञान नहीं है. यहां उल्लेखनीय है कि ट्रैफिकिंग एक संगठित अपराध है. इसमें अपहरण, गैर कानूनी ढंग से रोक कर रखना, डराना-धमकाना, चोट पहुंचाना, यौन हमला, बलात्कार, दास बना कर रखना आपराधिक षडयंत्र आदि शामिल हैं. इसमें पहचान करनेवाला, नियुक्त करनेवाला, बिचौलिया, बेचनेवाला, खरीदनेवाला, ठेकेदार, एजेंट, परिवहनकर्ता, आश्रय देनेवाला दोषी होते हैं.

* सुरक्षा और देखभाल जरूरी : री ट्रैफिकिंग न हो, इसके लिए काउंसलिंग व पुनर्वास केंद्र की स्थापना की आवश्यकता है. कमजोर वर्ग के परिवारों को जीविका के टिकाऊ एवं उचित विकल्प मुहैया कराने का प्रयास करना चाहिए.

* सरकारी विभागों में आपसी सामंजस्य हो : समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, श्रम विभाग, मानव अधिकार आयोग, महिला आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पुलिस विभाग आदि के साथ साझेदारी की आवश्यकता है.

* रोक के लिए थ्री पी की जरूरत

ट्रैफिकिंग न हो, इस पर रोक लगाने के लिए कड़ी पहल और रणनीति बनाने की आवश्यकता है. सबसे पहले कानून का पालन सख्ती से कराने के लिए प्रक्रियाएं व्यापक होनी चाहिए. इसके लिए थ्री पी पर ध्यान रखने की आवश्यकता है.

* प्रॉसिक्यूशन (अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दायर करना)

* प्रोटेक्शन (पीड़ितों की सुरक्षा एवं देखभाल)

* प्रिवेंशन (ट्रैफिकिंग की रोकथाम)

* मीडिया अहम भूमिका निभाये

* ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए मीडिया, पुलिस, पब्लिक, गैर सरकारी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है. ट्रैफिकिंग से संबंधित कानून का प्रचार-प्रसार, महिला एवं बच्चों के अधिकार की जानकारी, समुदाय की भूमिका आदि के बारे में मीडिया समाज को सही तरीके से रू-बरू करा सकता है.

– इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत

* ऐसे मामलों की त्वरित गति से उचित जांच. इस ऐसे असामाजिक कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं, प्रश्रय दे रहे हैं और इसमें जो संलिप्त हैं, उनसे प्रभावशाली तरीके से निबटने की आवश्यकता है.

* जहां से होकर बाहर ले जाया जा सकता है, वहां कंट्रोल की आवश्यकता है. जैसे- बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, बंदरगाह आदि.

* गांवों से ट्रैफिकिंग न हो, इसके लिए आवश्यक है गांव स्तर पर जागरूकता फैलायी जाये, गुमशुदा की तलाश की जाये.

* पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से इसमें संलिप्त लोगों व जगहों की जानकारी लेकर और उन्हें चिह्न्ति कर कड़ी कार्रवाई की जाये. कठोर सजा का प्रावधान किया जाये.

* गांव स्तर पर बालिकाओं एवं किशोरियों का निबंधन किया जाये.

* काम के लिए बाहर ले जानेवाली एजेंसियों का निबंधन किया जाये.

* विद्यालयों में बालिकाओं एवं किशोरियों का नामांकन कराया जाये.

* बड़े पैमाने पर सामंजस्य की आवश्यकता

कानून प्रवर्तन पदाधिकारी, एनजीओ, सीबीओ, सामाजिक कार्यकर्ता, सामुदायिक लीडर, पंचायती राज प्रतिनिधियों, बुद्घिजीवियों के साथ बड़े पैमाने पर सामंजस्य की आवश्यकता है. थानों का सुदृढ़ीकरण किया जाना चाहिए. भौतिक, मानव संसाधन, प्रशिक्षण आदि मुद्दों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है. सही सर्वे कर आंकड़ों का संकलन करने की आवश्यकता हैं, ताकि सही तरह से कार्य किया जा सके.

रंजना कुमारी

(सदस्य, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग)

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