उसकी मैट्रिक पास भांजी भी उसके साथ जम्मूतवी एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी. चाइल्डलाइन की ओर से इन दोनों को जबरन ट्रेन से उतार कर सभी कागजात और 1090 रुपये तक ले लिये गये. उन्हें दिल्ली जाने नहीं दिया गया. लिये गये पैसे भी वापस भी नहीं किये गये. बाल कल्याण समिति ने पूरे मामले में हस्तक्षेप कर चाइल्डलाइन की कार्रवाई को गलत ठहराया है.
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रेलवे स्टेशन चाइल्डलाइन से पकड़े जा रहे हैं वयस्क बच्चे
रांची: रांची रेलवे स्टेशन पर बनाये गये चाइल्डलाइन से वयस्क बच्चों को पकड़ने का मामला सामने आया है. इस संबंध में पीड़ित ने झारखंड राज्य बाल श्रम आयोग और जिला बाल कल्याण समिति के पास लिखित शिकायत भी की है. भरनो के रहनेवाले संजू मुंडा ने अपनी शिकायत में कहा है कि चाइल्डलाइन के कर्मियों […]
रांची: रांची रेलवे स्टेशन पर बनाये गये चाइल्डलाइन से वयस्क बच्चों को पकड़ने का मामला सामने आया है. इस संबंध में पीड़ित ने झारखंड राज्य बाल श्रम आयोग और जिला बाल कल्याण समिति के पास लिखित शिकायत भी की है. भरनो के रहनेवाले संजू मुंडा ने अपनी शिकायत में कहा है कि चाइल्डलाइन के कर्मियों ने न सिर्फ उसे दिल्ली जाने से रोका, बल्कि उसकी भगिनी को भी नहीं जाने दिया. नयी दिल्ली में उसे गारमेंट स्टोर में काम के लिए जाना था, जहां उसे 8000 रुपये मिलते हैं.
विधवा को भी रोका था हरियाणा जाने से : समिति की मीरा का कहना है कि दोनों बच्चे एडल्ट थे और वे कहीं भी जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि चाइल्डलाइन फादर चेतन संचालित कर रहे हैं. बार-बार चाइल्डलाइन की शिकायतें हम तक पहुंच रही हैं. अब तक 21 बच्चों को चाइल्डलाइन की ओर से पकड़ा गया है. इनमें से अधिकतर बच्चे युवक (18 वर्ष से अधिक) थे. उन्होंने कहा कि सिमडेगा की जलडेगा की भी एक विधवा महिला को चाइल्डलाइन के सदस्यों ने हरियाणा जाने से रोका था. ये दोनों मामले ट्रैफिकिंग से नहीं जुड़े थे. उन्होंने कहा कि चाइल्डलाइन को नियमों के अनुकूल काम करना चाहिए.
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