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सरकार सिंगल विंडो पर लायेगी अध्यादेश
रांची : विधानसभा के मॉनसून सत्र में झारखंड इंडस्ट्रीज फेसिलिटेशन एंड सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 पेश करने के बाद वापस ले लिया गया. अब राज्य सरकार इस पर अध्यादेश लाने की तैयारी में है. यही वजह है कि बिल को प्रवर समिति में भेजे जाने के तुरंत बाद सरकार ने बिल को वापस ले लिया. […]
रांची : विधानसभा के मॉनसून सत्र में झारखंड इंडस्ट्रीज फेसिलिटेशन एंड सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 पेश करने के बाद वापस ले लिया गया. अब राज्य सरकार इस पर अध्यादेश लाने की तैयारी में है. यही वजह है कि बिल को प्रवर समिति में भेजे जाने के तुरंत बाद सरकार ने बिल को वापस ले लिया.
बिल कैबिनेट से पारित है. सूत्रों ने बताया कि विधानसभा के मॉनसून सत्रावसान के आदेश जारी होने के बाद सरकार अध्यादेश लायेगी. वह भी आठ सितंबर के पहले ही. कारण है कि आठ सितंबर को मुख्यमंत्री सिंगल विंडो पोर्टल का उदघाटन करने जा रहे हैं. पूर्व में यह कार्यक्रम चार सितंबर को था, पर अब यह आठ सितंबर को होगा.
क्यों वापस लेना पड़ा बिल
विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन सरकार ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल-2015 पेश किया. इसमें चार स्तर की कमेटियां बनाने का प्रावधान था. कई विधायकों को जिला स्तर की कमेटी में उपायुक्त की अध्यक्षता पर एतराज था. विधायकों का तर्क था कि इतनी महत्वपूर्ण कमेटी में जनप्रतिनिधियों की उचित भागीदारी होनी चाहिए. इस कमेटी के अध्यक्ष जिला के प्रभारी मंत्री को बनाया जाय.
यह भी चर्चा हुई कि इस बिल को एक बार प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए. सरकार इस पर सहमत भी हो गयी. इसी दौरान कुछ ध्यान आने पर तत्काल सदन में बिल वापस लेने का आग्रह किया गया. सरकार ने देखा कि बिल यदि प्रवर समिति के पास जाता है, तब सरकार एक्ट पर अध्यादेश नहीं ला सकती, जबकि सरकार प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के तहत हर हाल में इस बिल को लाना चाहती है. यही कारण है कि सरकार ने बिल को वापस ले लिया और अब अध्यादेश लायेगी. बिल से सिंगल विंडो को वैधानिक अधिकार मिल जाता.
कई राज्यों में है सिंगल विंडो
सिंगल विंडो एक्ट कर्नाटक, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, पंजाब, राजस्थान, केरल व उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी है. झारखंड में पहले सिंगल विंडो खोला गया था. पर इसे वैधानिक अधिकार नहीं मिल पाने की वजह से यह प्रभावी नहीं हो सका. सरकार बिल के माध्यम से इसे वैधानिक अधिकार देकर प्रभावी बनाना चाहती है, ताकि निवेशकों को एक ही स्थान पर सारी सुविधाएं मिल सके.
क्या है सिंगल विंडो बिल
झारखंड में उद्योग लगाने के लिए निवेशकों को बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाने से निजात दिलाने के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल बनाया गया है. पीएम के मेक इन इंडिया अभियान के तहत कई पुराने श्रम कानूनों, पर्यावरण व बिजली से संबंधित कानूनों को आसान किया गया है.
वहीं सिंगल विंडो में एक ही आवेदन पर निवेशकों को सारे क्लीयरेंस देने का प्रावधान है. सिंगल विंडो के लिए झारखंड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास निगम (जिडको) एजेंसी के रूप में काम करेगी. निवेशकों को अब जिडको के एमडी के साथ एमओयू करना होगा. इसके अलावा चार स्तरीय कमेटी बनायी गयी है. एपेक्स कमेटी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बनायी गयी है. इसमें संबंधित विभागों के मंत्री व सचिव को सदस्य बनाया गया है.यह कमेटी हाइपावर कमेटी द्वारा भेजे गये मामलों पर निर्णय लेगी. दूसरी कमेटी हाइ पावर कमेटी होगी, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे. हर तीन महीने पर इस कमेटी की बैठक होगी. यह कमेटी एजेंसी, जिला स्तरीय नोडल एजेंसी व जिला स्तरीय कार्यकारी समिति के कार्यों की मॉनिटरिंग करेगी.
एपेक्स कमेटी द्वारा िनर्धारित काम करेगी सिमित
जिला स्तरीय कार्यकारी समिति उपायुक्त की अध्यक्षता में बनेगी़ इसके सदस्य डीआइसी के जीएम व संबंधित विभागों के पदाधिकारी होंगे. यह कमेटी हाइ पावर कमेटी के निर्देशों का पालन करेगी. साथ ही जिला स्तरीय नोडल एजेंसी व डीआइसी की समीक्षा करेगी व हाइपावर कमेटी द्वारा दिये गये निर्देशों का फील्ड में अनुपालन भी सुनिश्चित करेगी. डिस्ट्रिक लेवल नोडल एजेंसी मूल रूप से निवेश की गतिविधियों को तेज करेगी. निवेशकों को अलग-अलग विभागों से विभिन्न प्रकार के क्लीयरेंस आदि लेने में सहायता करेगी. इसके लिए इस कमेटी को अधिकृत भी किया गया है.
सिंगल विंडो क्लीयरेंस बिल के अनुसार, किसी भी प्रकार के क्लीयरेंस व एनओसी प्राप्त करने के लिए निवेशकों को अॉनलाइन आवेदन देना होगा. वेब पोर्टल का संचालन जिडको द्वारा किया जायेगा. वेबसाइट पर कंबाइंड एप्लीकेशन फॉर्म(सीएएफ) निर्धारित शुल्क के साथ भरना होगा. आवश्यक कागजातों को स्व प्रमाणित कर देना होगा. आवेदनों की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समय सीमा का निर्धारण किया गया है.
क्या कहते हैं स्पीकर
सरकार को संभवत: अध्यादेश लाना होगा, इसलिए इसे प्रवर समिति के पास नहीं भेजा गया. सरकार को सामान्य प्रक्रिया में बिल को वापस नहीं लेना चाहिए. अब ले लिया है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. सरकार संभवत: इसे अगले सत्र में पेश करेगी.
दिनेश उरांव, स्पीकर झारखंड विधानसभा
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