बेंच में न्यायमूर्ति यूडी साल्वी और विशेषज्ञों में डीके अग्रवाल, प्रो एआर यूसूफ तथा रंजन चटर्जी शामिल हैं. याचिका में जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है, उन सभी को अपना-अपना पक्ष दो सप्ताह में फाइल करना होगा. 20 पेज की याचिका में प्रिंसिपल बेंच को यह बताया गया है कि राज्य में किस तरह से अवैध खनन का कारोबार चल रहा है. सरकारी खजाने को चपत लगायी जा रही है. पर्यावरण एवं मानवीय जीवन को गहरा नुकसान पहुंचाया जा रहा है. अवैध क्रशर से लोगों के जीवन पर पड़ने वाले दुष्परिणाम सहित बिना लाइसेंस के सरकार को हो रहे करोड़ो रुपये के नुकसान की भी चरचा की गयी है. बताया गया है कि पत्थर तोड़ने के लिए जिन विस्फोटकों की जरूरत होती है, उसे काफी खतरनाक पदार्थ की श्रेणी में रखा गया है. राज्य सरकार को इसकी जानकारी नहीं है कि पत्थर कारोबारी पत्थर को तोड़ने का काम ड्रिलिंग से करते हैं या विस्फोट से. विस्फोट से करते हैं, तो इसकी अनुमति उन्हें कहां से मिली है.
याचिका के साथ ही अवैध रूप से तोड़े जा रहे पत्थरों पर प्रभात खबर द्वारा चलाये गये कैंपेन की कॉपी संलग्न की गयी है. गौरतलब है कि अवैध रूप से चलाये जा रहे क्रशर पर प्रभात खबर ने अप्रैल महीने में कैंपेन चलाया था, जिसे आधार बनाते हुए यह मामला एनजीटी में पहुंचा है. दिल्ली हाइकोर्ट के अधिवक्ता सत्य प्रकाश ने याचिका में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, झारखंड सरकार, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वार्डेंन फॉरेस्ट वाइल्ड लाइफ, डोरंडा, उपायुक्त हजारीबाग एवं कोडरमा, जिला खनन अधिकारी, हजारीबाग एवं कोडरमा, रूपक सिंह, धन लक्ष्मी स्टोर वर्क्स, श्रीराम स्टोन चिप्स तथा हरियाणा के मेसर्स सी एंड सी कंस्ट्रक्शन कंपनी को प्रतिवादी बनाया गया है. सभी पक्षों को दो सप्ताह में अपना पक्ष रखना होगा. याचिका में जिन बातों को आधार बनाया गया है, उन सभी बातों पर राज्य सरकार को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी. याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता सत्यप्रकाश ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि हजारीबाग और कोडरमा में जिस तरह से अवैध खनन हो रहे हैं, उसपर सरकार को अब स्थिति स्पष्ट करनी होगी. अब सरकार को यह बताना होगा कि आखिर यह खनन किसके आदेश पर हो रहा है, इसकी मंजूरी कैसे मिली तथा इस पर रोक न लगा पाने में कौन-कौन लोग जिम्मेवार हैं. प्रभात खबर को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि प्रभात खबर के कैंपेन से उन्हें अपना पक्ष एनजीटी में रखने में मजबूती मिली. तथा एनजीटी ने याचिका को सही मानते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है.