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कंपनसेशन व लीज की जमीन की रजिस्ट्री रुकी

डीसी ने बिना सत्यापन रजिस्ट्री नहीं करने का दिया आदेश विवेक चंद्र रांची : रांची में शिड्यूल एरिया रेगुलेटरी (एसएआर) कोर्ट से बंदोबस्त (कंपनसेशन या सेटलमेंट) और लीज पर दी गयी जमीन की रजिस्ट्री रुक गयी है. रांची के उपायुक्त मनोज कुमार ने जिला अवर निबंधक को संबंधित पदाधिकारी से बिना सत्यापन कराये एसएआर कोर्ट […]

डीसी ने बिना सत्यापन रजिस्ट्री नहीं करने का दिया आदेश
विवेक चंद्र
रांची : रांची में शिड्यूल एरिया रेगुलेटरी (एसएआर) कोर्ट से बंदोबस्त (कंपनसेशन या सेटलमेंट) और लीज पर दी गयी जमीन की रजिस्ट्री रुक गयी है. रांची के उपायुक्त मनोज कुमार ने जिला अवर निबंधक को संबंधित पदाधिकारी से बिना सत्यापन कराये एसएआर कोर्ट द्वारा बंदोबस्त की गयी भूमि या उस पर किये गये निर्माण और लीज पर दी गयी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करने के लिए पत्र लिखा है.
पत्र के साथ गैरमजरूआ भूमि संबंधित सूची भी भेजी है. उपायुक्त के इस आदेश के बाद कंपनसेशन और लीज की जमीन की रजिस्ट्री कराने के 300 से अधिक मामले सत्यापन कराये जाने तक रोक दिये गये हैं. जाली कागजातों से करायी गयी रजिस्ट्री
उपायुक्त ने फरजी दस्तावेज का इस्तेमाल कर जमीन की रजिस्ट्री (निबंधन) किये जाने के कई मामले पकड़े हैं. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि फरजी दस्तावेज के आधार पर अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की मुंडारी, खूंटकट्टी और भूईहरी जमीन की रजिस्ट्री किये जाने के मामले सामने आये हैं. फरजी कागजात और जाली हस्ताक्षरों का इस्तेमाल कर एसएआर कोर्ट के आदेशों की नकल को आधार बना कर भी जमीन की रजिस्ट्री करायी गयी है. गलत तरीके से लीज की जमीन भी रजिस्ट्री किये जाने की सूचना है.
फ्लैटों की खरीद-बिक्री भी प्रभावित
बहुमंजिली इमारतों के फ्लैटों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. फ्लैटों की खरीद-बिक्री का निबंधन कराने के लिए जमीन से संबंधित कागजात भी दिखाने पड़ते हैं. राजधानी और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में कंपनसेशन की जमीन पर बहुमंजिली इमारत बनायी गयी है. लीज की भूमि पर भी निर्माण किये गये हैं.
इस तरह की जमीन पर बने फ्लैट खरीदनेवालों को अब रजिस्ट्रेशन कराने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. फ्लैट की दोबारा खरीद-बिक्री के बाद रजिस्ट्रेशन कराना भी कठिन हो गया है. जमीन की जांच कर सक्षम पदाधिकारी से सत्यापन कराने के बाद ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया आगे बढ़ायी जायेगी.
अब तक क्या होता था : जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए क्रेता-विक्रेता रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन देते थे. आवेदक जमीन का कागजात प्रस्तुत करते थे. इसी आधार पर रजिस्ट्री कर दी जाती थी.
अब क्या हो रहा है : क्रेता-विक्रेता जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए कागजात जमा करेंगे. रजिस्ट्रार संबंधित जमीन के कागजात सीओ या अन्य सक्षम पदाधिकारियों के सत्यापन के लिए भेजेंगे. सक्षम पदाधिकारी जमीन के रिकॉर्ड से दिये गये कागजात का मिलान करेंगे.
अदालत से संबंधित मामलों में आदेश की असली प्रति के रिकॉर्ड से मिलान किया जायेगा. सब कुछ सही पाये जाने पर संबंधित पदाधिकारी कागजात सत्यापित करेंगे. इसके बाद ही रजिस्ट्रार रजिस्ट्री की अनुमति देंगे. फ्लैटों की दोबारा खरीद बिक्री का निबंधन करने के लिए भी जमीन के सत्यापन की प्रक्रिया की जायेगी.
‘‘जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर नकली आदेशों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री कराने की कोशिश किये जाने के कई मामले सामने आये हैं. इस वजह से बिना सत्यापन कराये रजिस्ट्री नहीं करने का आदेश दिया गया है. मनोज कुमार, उपायुक्त, रांची

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