मनोज लाल
रांची : छोटानागपुर रातू उच्च विद्यालय का 50 बेड वाला हॉस्टल पड़े-पड़े बरबाद हो रहा है. चार-पांच साल से भवन बिना उपयोग के पड़ा हुआ है. भवन के अंदर का हिस्सा भी क्षतिग्रस्त होते जा रहा है. चारों तरफ झाड़ियां उग आयी हैं.
सभी खिड़कियों के शीशे भी टूट गये हैं. धीरे-धीरे बिल्डिंग की स्थिति भी खराब हो रही है. छज्जे भी झड़ने लगे हैं. बिल्डिंग का इस्तेमाल हुआ ही नहीं है, फिर भी इसकी मरम्मत की जरूरत पड़ रही है.
इस हॉस्टल में आज तक एक भी विद्यार्थी को नहीं रखा गया यानी हॉस्टल कभी खुला ही नहीं. जानकारी के मुताबिक इस हॉस्टल का निर्माण कल्याण विभाग की ओर से कराया गया था. निर्माण के बाद से आज तक यह स्कूल के सुपुर्द नहीं हुआ है. इस वजह से स्कूल को किसी तरह का लाभ इससे नहीं मिल सका है.
अनुसूचित जनजाति के बच्चों को मिलता लाभ
अगर हॉस्टल चलता, तो अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को काफी लाभ मिलता. वे इस छात्रवास में रह कर पढ़ाई कर पाते. इससे उन्हें काफी सहूलियत मिलती, लेकिन सरकार की यह योजना यहां धरातल पर नहीं उतर सकी. हॉस्टल की सुविधा नहीं होने से विद्यार्थियों को इधर-उधर रह कर पढ़ाई करनी पड़ रही है.
मेसो परियोजना के तहत बना था हॉस्टल
इस दो मंजिले हॉस्टल का निर्माण मेसो परियोजना के अंतर्गत कल्याण विभाग ने कराया था. रातू चट्टी के ठीक आगे एनएच 75 से मात्र 100 मीटर हट कर इसका निर्माण कराया गया है. इसमें विद्यार्थियों के रहने के लिए ग्राउंड फ्लोर व ऊपर के तल्ले में कई कमरे बनाये गये थे. बच्चों के लिए खाने-पीने की भी सुविधाएं यहीं होती. इसके अलावा अन्य कई सुविधाएं भी यहां उपलब्ध करायी जानी थी.
हॉस्टल हैंड ओवर नहीं हुआ है : प्राधानाध्यापक
स्कूल के प्रधानाध्यापक डीएन पाठक को भी छात्रवास के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वे कहते हैं, यहां अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल बना था, पर अभी तक यह हैंड ओवर तक नहीं हुआ है.