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अवैध पत्थर खदानों के लिए कई विभाग भी हैं जिम्मेवार
खान विभाग ने हाइकोर्ट में दायर किया शपथ पत्र, कहा हाइकोर्ट के आदेश के बाद 581 अवैध क्रशर व पत्थर खदान बंद की गयी रांची : अवैध क्रशर व पत्थर खदानों के लिए कई विभाग जिम्मेवार हैं. खान विभाग ने हाइकोर्ट में अपने हलफनामे में यह बात कही है. कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार […]
खान विभाग ने हाइकोर्ट में दायर किया शपथ पत्र, कहा
हाइकोर्ट के आदेश के बाद 581 अवैध क्रशर व पत्थर खदान बंद की गयी
रांची : अवैध क्रशर व पत्थर खदानों के लिए कई विभाग जिम्मेवार हैं. खान विभाग ने हाइकोर्ट में अपने हलफनामे में यह बात कही है. कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को हलफनामा सौंप दिया गया है.
खान निदेशक एसपी नेगी द्वारा सौंपे गये हलफनामे में लिखा गया है कि किसी अवैध क्रशर या पत्थर खदान के लिए कई विभाग जिम्मेवार हैं. इसमें खास कर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, बिजली विभाग, परिवहन विभाग, जिला प्रशासन, जिला स्तरीय टास्क फोर्स शामिल है.
लिखा गया है कि वाय प्रदूषण या जल प्रदूषण होता है तो वैध खदानों पर भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने कानून के तहत कार्रवाई कर सकता है, जबकि अवैध खनन हो रहा है तो यह देखना उनका काम है. वन भूमि या वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में भी ऐसे क्रशर चलते हैं तो वन विभाग कार्रवाई कर सकता है. पर अबतक इनके द्वारा कार्रवाई नहीं की गयी है.
खान विभाग ने इस बात पर भी सवाल उठाया है कि अवैध क्रशरों को बिजली विभाग कनेक्शन कैसे दे देता है. बिना वैध लाइसेंस के कनेक्शन देने के कारण ही इस प्रकार के क्रशर अवैध रूप से चलते हैं. गौरतलब है कि हजारीबाग में सारंण गांव में अवैध क्रशर को लेकर खान विभाग पर हाइकोर्ट ने तीखी टिप्पणी कर शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया था.
विभागी सूत्रों ने बताया कि 2005 में राज्यस्तरीय व जिला स्तरीय टास्क फोर्स बनी थी. पर अवैध खनन रोकने में बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सके. वहीं खनन इलाकों में जिन वाहनों से ढुलाई होती है वह बिना नंबर के होते हैं. इसके लिए खान विभाग ने परिवहन विभाग को भी जवाबदेह बताया है. विभाग का मानना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यदि सही तरीके से जांच करें तो अवैध क्रशर होने का सवाल ही नहीं उठता.
पत्थरों के ऑक्शन पर भी विचार कर रहा है विभाग
खान विभाग अब बालू की तर्ज पर पत्थर खदानों की भी नीलामी पर विचार कर रहा है. विभागीय स्तर पर इस पर सहमति बनी है. विभागीय सचिव ने प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है. इसके बाद कैबिनेट से मंजूरी लेकर पत्थर खदानों की नीलामी करायी जायेगी. साथ ही पर्यावरण क्लीयरेंस व माइनिंग प्लान की शर्त्त भी इसमें रखी जा सकती है.
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