नयी दिल्ली. मध्यस्थता या पंच निर्णय कानून मंे प्रस्तावित बदलावांे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल गुरुवार को विचार करेगा. इस तरह की प्रक्रिया मंे आनेवाले विलंब व ऊंची लागत को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता कानून मंे कई तरह के बदलावांे का प्रस्ताव है. सूत्रांे ने कहा कि मध्यस्थता एवं समझौता कानून, 1996 मंे संशोधन कैबिनेट की बैठक के एजेंडा मंे शामिल है. शुरू मंे सरकार की इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाने की योजना थी, लेकिन अब इस विचार को छोड़ दिया गया है. सरकार की योजना अब 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मॅनसून सत्र में इस बारे मंे विधेयक लाने की है. सरकार अंतरराष्ट्रीय कारोबारी समुदाय को यह संकेत देना चाहती है कि भारत मंे पंच निर्णय की लंबी प्रक्रिया अब बीती बात हो जायेगी. मध्यस्थता कानून मंे कई तरह के बदलावांे का प्रस्ताव है जिसके तहत किसी भी मामले को एक निर्धारित समयसीमा मंे निपटा दिया जायेगा और इसमें अदालतांे का हस्तक्षेप कम से कम होगा. एक संशोधन यह भी प्रस्तावित है कि पीठासीन पंच के शुल्क ढांचे का निर्णय पहली बैठक मंे ही हो जायेगा. सरकार पहले मध्यस्थता कानून पर अध्यादेश लाना चाहती थी. कैबिनेट ने इसे 29 दिसंबर, 2014 को मंजूरी दी थी, लेकिन इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा गया.
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मध्यस्थता कानून मंे संशोधन पर आज मंत्रणा
नयी दिल्ली. मध्यस्थता या पंच निर्णय कानून मंे प्रस्तावित बदलावांे पर केंद्रीय मंत्रिमंडल गुरुवार को विचार करेगा. इस तरह की प्रक्रिया मंे आनेवाले विलंब व ऊंची लागत को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता कानून मंे कई तरह के बदलावांे का प्रस्ताव है. सूत्रांे ने कहा कि मध्यस्थता एवं समझौता कानून, 1996 मंे संशोधन कैबिनेट की […]
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