चिन्मय मिशन आश्रम में प्रवचनसंवाददाता, रांचीआसक्ति ही दुख का कारण है. किसी भी वस्तु के प्रति आसक्ति होने पर दुख होता है. संसार मेें रहते हुए भी प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मोह को भंग करना होगा. मंगलवार को चिन्मय मिशन आश्रम में गीता के 20 वें श्लोक पर प्रवचन करते हुए स्वामी माधवानंद ने यें बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जगत में जीव को अच्छे कर्म के लिए भेजा गया है, लेकिन वह अपने पथ से विमुख हो गया है. वृक्ष, तना एवं पत्तों का अलग-अलग महत्व है. स्वामी जी ने परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग बताया. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अध्यात्म से जुड़ जाता है उसे दुख नहीं होता.
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आसक्ति ही दुख का कारण: माधवानंद
चिन्मय मिशन आश्रम में प्रवचनसंवाददाता, रांचीआसक्ति ही दुख का कारण है. किसी भी वस्तु के प्रति आसक्ति होने पर दुख होता है. संसार मेें रहते हुए भी प्रभु को प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए मोह को भंग करना होगा. मंगलवार को चिन्मय मिशन आश्रम में गीता के 20 वें श्लोक पर प्रवचन […]
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