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अपने इतिहास-भूगोल से अनजान झारखंड के बच्चे
राज्य में इतिहास-भूगोल का अपना पाठ्यक्रम नहीं झारखंड के महापुरुषों की भी जानकारी नहीं रांची : राज्य के स्कूली बच्चे अपने राज्य के इतिहास-भूगोल से अनजान हैं. बच्चों को अपने राज्य की चौहद्दी की जानकारी नहीं है. झारखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में झारखंड के महापुरुष का उल्लेख नहीं है. झारखंड में कक्षा एक से आठ […]
राज्य में इतिहास-भूगोल का अपना पाठ्यक्रम नहीं
झारखंड के महापुरुषों की भी जानकारी नहीं
रांची : राज्य के स्कूली बच्चे अपने राज्य के इतिहास-भूगोल से अनजान हैं. बच्चों को अपने राज्य की चौहद्दी की जानकारी नहीं है. झारखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में झारखंड के महापुरुष का उल्लेख नहीं है. झारखंड में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है.
किताब की छपाई झारखंड शिक्षा परियोजना के स्तर से की जाती है. किताब के लिए राज्य सरकार ने एनसीइआरटी के कॉपीराइट ले रखी है. राज्य सरकार द्वारा एनसीइआरटी के पाठ्यक्रम के आधार पर किताब छपाई जाती है. देश में स्कूली पाठ्यक्रम में एकरूपता के लिए कई राज्यों में एनसीइआरटी के पाठ्यक्रम को लागू किया गया है, पर इतिहास व भूगोल के पाठ्यक्रम में राज्य के अनुरूप बदलाव किया गया है.
इतिहास के किताब में महापुरुष व राज्य के इतिहास के बारे में बताया गया है. वहीं, भूगोल में राज्य के भौगोलिक स्थति के बारे में बताया जाता है. झारखंड में अपना पाठ्यक्रम नहीं बनाया गया. एनसीइआरटी के पाठ्यक्रम के आधार पर ही इतिहास-भूगोल की पढ़ाई होती है.
सबने की घोषणा
राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में झारखंड के इतिहास-भूगोल को शामिल करने की लगभग सभी सरकार ने घोषणा की. इसके लिए अब तक कोई पहल नहीं हुई. पिछले दिनों शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने जिला स्कूल के प्लस टू के विद्यार्थियों से झारखंड की चौहद्दी के बारे में पूछा, तो उन्हे झारखंड की चौहद्दी की जानकारी नहीं थी. इस पर आश्चर्य व्यक्त किया गया.
ये हैं झारखंड के महापुरुष
देश के स्वतंत्रता आंदोलन में झारखंड के महापुरुषों का महत्वपूर्ण योगदान है. यहां के महापुरुषों में भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, पांडेय गणपत राय, वीर बुधु भगत, शेख भिखारी, टिकैत उमरांव सिंह आदि शामिल हैं.
पढ़ते है विदेशी इतिहास
झारखंड के स्कूल के पाठ्यक्रम में विदेशी इतिहास-भूगोल शामिल हैं. कक्षा नौ के इतिहास में फ्रांस, यूरोप, जर्मनी, इटली के इतिहास के बारे में बताया गया है. वहीं कक्षा दस के इतिहास की पुस्तक में चीन के इतिहास की जानकारी दी गयी है.
अन्य राज्यों ने किया है बदलाव
देश के अन्य राज्यों में भी एनसीइआरटी का पाठ्यक्रम प्रभावी है, पर राज्यों ने अपने स्तर से इतिहास व भूगोल के पाठ्यक्रम में बदलाव किया है. अपने राज्य के संघर्ष व वहां के महापुरुषओं के बारे में जानकारी दी है. एकीकृत बिहार के समय में बिहार गौरव नाम की किताब की पढ़ाई होती थी, जिसमें राज्य के इतिहास व भूगोल के बारे में जानकारी दी गयी थी. झारखंड में ऐसी कोई किताब नहीं है.
कक्षा आठ के एक पाठ में है जिक्र
झारखंड के स्कूली पाठ्यक्रम में कक्षा आठ की किताब में एक पाठ में झारखंड के आदिवासी के बारे में जिक्र है. आदिवासी दिकू और स्वर्ण युग की कल्पना पाठ में देश के आदिवासी समाज के बारे में बताया गया है. इस पाठ की कुछ पंक्तियों में झारखंड के आदिवासी समाज के बारे में भी बताया गया है. इसी में भगवान बिरसा मुंडा के बारे में बताया गया है. भगवान बिरसा मुंडा के जन्म तक के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गयी है.
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