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टैक्स चोरी रोकने के लिए अमेरिका-भारत में करार

नयी दिल्ली. भारत व अमेरिका ने परस्पर कर संबंधी सूचनाएं साझी करने से जुड़े एक समझौते एफएटीसीए पर गुरुवार को हस्ताक्षर किये. इससे दोनों देशों के बीच कर चोरों के बारे में वित्तीय सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त हो गया है. यह समझौता एक नये अमेरिकी कानून के तहत किया गया है. यह […]

नयी दिल्ली. भारत व अमेरिका ने परस्पर कर संबंधी सूचनाएं साझी करने से जुड़े एक समझौते एफएटीसीए पर गुरुवार को हस्ताक्षर किये. इससे दोनों देशों के बीच कर चोरों के बारे में वित्तीय सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त हो गया है. यह समझौता एक नये अमेरिकी कानून के तहत किया गया है. यह 30 सितंबर से प्रभावी होगा.इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच अपने यहां बैंक खातों के साथ साथ इक्विटी, साझा कोष व बीमा जैसे वित्तीय उत्पादों में निवेश करनेवाले एक-दूसरे के नागरिकों के बारे में दोनों के कर विभागों के बारे में सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान की व्यवस्था होगी. इसका उद्देश्य विदेशों में जमा काले धन की समस्या से निपटना है.अंतर सरकारी समझौते के तहत भारत के वित्तीय संस्थानों को अपने यहां अमेरिकी खाताधारकों की कर संबंधी सूचनाएं भारत सरकार को देनी होगी, जो उन्हें अमेरिका के कर विभाग को प्रेषित करेगी. इसी तरह अमेरिका अपने यहां भारतीय खाताधारकों से संबंधित सूचनाएं भारतीय कर विभाग को मुहैया करायेगा. इसके तहत 30 सितंबर से अमेरिका के बैंक, म्युच्युअल फंड, बीमा, पेंशन व शेयर ब्रोकिंग फर्में अपने भारतीय ग्राहकों का ब्यौरा अमेरिकी प्रशासन को देंगे, जो उसे भारत के साथ साझा करेगा.राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि देश के रूप में हम इसे विदेशों में कर चोरी से निपटने के मोर्चे पर भारत अमेरिका सहयोग में महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखते हैं. यह कर चोरी मनी लांडिं्रग व अन्य पहलुओं को भी प्रभावित करती है, जिसे भारत में हम काले धन की समस्या कहते हैं.

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