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नस्लीय भेदभाव के खिलाफ मजबूत होगा कानूनी ढांचा

आइपीसी में संशोधन करेगी सरकारत्रगृह मंत्रालय ने मानी एमके बेजबरुआ समिति की सिफारिशेंत्रगृह मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों की कार्रवाई रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपीएजेंसियां, नयी दिल्लीपूर्वोत्तर के क्षेत्र के लोगों को ‘अपमानजनक’ नामों से संबोधित करना शीघ्र ही गैर जमानती अपराध होगा. ऐसा करनेवाले को इसके लिए पांच साल तक सलाखों के पीछे जाना पड़ […]

आइपीसी में संशोधन करेगी सरकारत्रगृह मंत्रालय ने मानी एमके बेजबरुआ समिति की सिफारिशेंत्रगृह मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों की कार्रवाई रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपीएजेंसियां, नयी दिल्लीपूर्वोत्तर के क्षेत्र के लोगों को ‘अपमानजनक’ नामों से संबोधित करना शीघ्र ही गैर जमानती अपराध होगा. ऐसा करनेवाले को इसके लिए पांच साल तक सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है. गृह मंत्रालय ने दिल्ली हाइकोर्ट को बताया कि उसने नस्लीय भेदभाव के विरुद्ध कानूनी ढांचा मजबूत करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) को संशोधित करने का निर्णय लिया है. इसके तहत किन्हीं व्यक्तियों के विरुद्ध नस्ल के आधार पर उसकी मानवीय मर्यादा के प्रति पूर्वाग्रह से लांछना या कठोर वचन या उनके विरुद्ध भेदभाव के प्रयास से कुछ कहना, लिखना या संकेत करना, किसी खास नस्ल के विरुद्ध आपराधिक बल प्रयोग के इरादे से किसी गतिविधि में शामिल होना गैरजमानती अपराध माना जायेगा.अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने दिल्ली हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ को बताया, ‘गृह मंत्रालय आइपीसी की धारा 15सी और 509ए में नयी धाराएं जोड़ने के लिए समग्र विधेयक को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. अंतर-मंत्रालयी चर्चा के पश्चात इस विधेयक को संसद में पेश किया जायेगा.’ जैन ने गृह मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों की ओर से कार्रवाई रिपोर्ट की प्रति अदालत को सौंपी. कहा कि गृह मंत्रालय ने एमके बेजबरुआ समिति की सिफारिश मान ली है, जिसका गठन दिल्ली में जनवरी, 2014 में अरुणाचल के एक 19 वर्षीय विद्यार्थी की कथित नस्लीय हमले में मौत के बाद फरवरी, 2014 में किया गया था.

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