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बीच सड़क पर पोल और चापानल

ऐसा भी होता है. विभागों में तालमेल नहीं, पैसे लेकर भी नहीं करते काम रांची : सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव राजधानी की सड़कों पर दिख रहा है. बिना तालमेल के ही सड़कें बन रही हैं. इसका असर निर्माण कार्य पर तो पड़ ही रहा है, चौड़ीकरण का उद्देश्य भी फेल हो रहा है. […]

ऐसा भी होता है. विभागों में तालमेल नहीं, पैसे लेकर भी नहीं करते काम
रांची : सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव राजधानी की सड़कों पर दिख रहा है. बिना तालमेल के ही सड़कें बन रही हैं. इसका असर निर्माण कार्य पर तो पड़ ही रहा है, चौड़ीकरण का उद्देश्य भी फेल हो रहा है. यह स्थिति पथ निर्माण विभाग व बिजली विभाग के साथ है.
शहर की कई महत्वपूर्ण सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है, पर बीच में पड़ेनवाले बिजली के पोल नहीं हटाये जा रहे हैं. बार-बार पथ निर्माण विभाग की ओर से पोल हटाने का आग्रह किया जा रहा है. संवेदक भी योजनाएं पूरा करने के लिए पोल हटवाने में लगे रहते हैं. बावजूद इसके राजधानी की सड़कों से पोल नहीं हटे.
.. पर नहीं हटाते पोल
इस मामले में पथ विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि उनकी पथ योजना में ही पोल/पाइप लाइन शिफ्टिंग, पेड़ों की कटाई आदि के लिए पैसे होते हैं. कार्यादेश देते ही पहले बिजली विभाग को पोल हटवाने के लिए पैसे दे दिये जाते हैं, पर विभाग बैठा रहता है.
बार-बार रिमाइंडर के बावजूद पोल नहीं हटवाते हैं. ठेकेदार का काम और परियोजना दोनों लटकी रहते हैं. ऐसे में ठेकेदार मजबूरी में पोल के रहते ही सड़कें बना रहे हैं. होना यह चाहिए कि पैसा मिलने पर पहले बिजली विभाग पोल हटवा दे, फिर सड़क बने. इन पोल की वजह से रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं. तेजी से आनेवाले वाहन रात में पोलों से टकरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि रात में सबसे ज्यादा साइकिल सवार इससे टकरा रहे हैं.
दुर्घटना के सबब बने ये चापानल
डोरंडा-कुसई-नामकुम रोड
रांची : विभागीय तालमेल व लापरवाही का ही नतीजा है कि डोरंडा-कुसई-नामकुम पथ के चौड़ीकरण के दौरान चापानल बीच सड़क में ही रह गया. सड़क बन गयी है, लेकिन बीच सड़क पर चापानल है. यह स्थिति इस मार्ग पर दो-दो जगह है.
एक जगह तो हैंडल सहित चापानल है, जबकि दूसरी जगह पर हैंडल हटा हुआ है, पर बोरिंग का हिस्सा दिख रहा है. दोनों जगह दुर्घटना होने की आशंका बनी हुई है. हाल ही में एक व्यक्ति चापानल के निकले हिस्से से टकरा गया, जिससे उसे गंभीर चोटें आयी हैं. पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर इससे अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.
उनका कहना है कि संबंधित विभाग से आग्रह किया गया था कि चापाकल का क्या किया जाये, क्योंकि सड़क चौड़ीकरण की योजना स्वीकृत हो गयी है. इसके बाद भी विभाग की ओर से कुछ नहीं कहा गया. सड़क बनने लगी, तो भी चापाकल नहीं हटाये गये.

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