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राजनीतिज्ञों ने परिसीमन रोकने की मांग की थी

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में परिसीमन लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर आंशिक सुनवाई हुई. जस्टिस एनएन तिवारी व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से पूरक शपथ पत्र दायर किया गया. […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को राज्य में परिसीमन लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर आंशिक सुनवाई हुई. जस्टिस एनएन तिवारी व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से पूरक शपथ पत्र दायर किया गया. इसमें बताया गया कि झारखंड के कई राजनीतिज्ञों ने प्रधानमंत्री को सामूहिक रूप से पत्र लिख कर परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू नहीं करने की मांग की थी. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा, मधु कोड़ा, सुदेश कुमार महतो, पीएन सिंह, प्रो यदुनाथ पांडेय, सुशीला केरकेट्टा (स्वर्गीय), हेमलाल मुरमू, भानु प्रताप शाही, प्रदीप बलमुचू, स्वर्गीय टेकलाल महतो, नियल तिर्की आदि शामिल हैं.

इनका कहना था कि आयोग की अनुशंसा लागू की गयी, तो राज्य में अशांति फैलने की आशंका है. केंद्र सरकार ने शांति भंग होने की आशंका को देखते हुए परिसीमन आयोग की अनुशंसा वर्ष 2026 तक के लिए स्थगित कर दी है. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह, सरधु महतो ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राम कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर कर परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.

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