रांची: रांची के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल (नया सदर अस्पताल, रांची) सहित चार डिविजनल अस्पताल व 23 जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड में चलाने का मामला लटक सकता है. वेलफेयर स्टेट में गरीबों को किफायती इलाज मुहैया कराने के सवाल पर स्वास्थ्य विभाग घिर गया है.
इस संबंध में दो दिन पहले सलाहकार के विजय कुमार के साथ मुख्य सचिव, वित्त सचिव व विभागीय सचिव सहित अन्य अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला. सूत्रों के अनुसार, बैठक में वित्त सचिव सुखदेव सिंह ने पूछा कि वर्तमान में लागू सस्ती दर पर चिकित्सा सुविधा मुहैया करानेवाला क्या कोई पीपीपी (सरकारी व निजी भागीदारी वाला) मॉडल देश भर में है? स्वास्थ्य सचिव के पास जवाब नहीं था.
अधिकारी इस बात से भी चिंतित थे कि एक बार निजी हाथों में जाने के बाद अपने ही अस्पतालों पर सरकार का नियंत्रण नहीं रह जायेगा. इस पर मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से 10-15 दिनों में पीपीपी मोड का कोई नया फ्रेम बनाने को कहा, जो गरीबों के अनुकूल हो. जानकारों का कहना है कि निजी अस्पताल या अस्पताल समूहों का पूरा ध्यान सिर्फ मुनाफे पर होगा, इसलिए चिकित्सीय सुविधा महंगी होगी. इधर रांची के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का संचालन अब लटक सकता है.