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‘एक सेकेंड बड़े’ 30 जून से सॉफ्टवेयर कंपनियों में डर

एजेंसियां, लंदनइस बार आनेवाला 30 जून, अन्य तारीखों से एक सेकेंड लंबा होगा. पेरिस ऑब्जर्वेटरी ने घोषणा है कि उसने घडि़यों में एक लीप सेकंड जोड़ा है. इससे गूगल, जावा सहित सॉफ्टवेयर आधारित दुनियाभर की तमाम कंपनियों में सॉफ्टवेयर क्रैश कर जाने का डर समा गया है. दरअसल, इस बार घडि़यां 11:59:59 बजने के बाद […]

एजेंसियां, लंदनइस बार आनेवाला 30 जून, अन्य तारीखों से एक सेकेंड लंबा होगा. पेरिस ऑब्जर्वेटरी ने घोषणा है कि उसने घडि़यों में एक लीप सेकंड जोड़ा है. इससे गूगल, जावा सहित सॉफ्टवेयर आधारित दुनियाभर की तमाम कंपनियों में सॉफ्टवेयर क्रैश कर जाने का डर समा गया है. दरअसल, इस बार घडि़यां 11:59:59 बजने के बाद सीधे 12:00 की जगह 11:59:60 बजायेंगी. यानी एक सेकेंड अधिक होगा. 1972 से अब तक 26 बार घडि़यों में लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं. अमेरिकी नेवल ऑब्जर्वेटरी के अर्थ ऑरिएंटेशन पैरामीटर्स के प्रमुख निक स्टैमाताकोस ने कहा कि पृथ्वी की घूर्णन गति में धीरे-धीरे कमी आ रही है.लीप सेकेंड से सॉफ्टवेयर क्रै शगौरतलब है कि 2012 में लीप सेकेंड जोड़ने से कई कंपनियों के सॉफ्टवेयर क्रै श हो गये थे और जावा के प्रोग्रामों में गड़बड़ी आ गयी थी. लिहाजा सॉफ्टवेयर कंपनियां पहले से ही इस समस्या को लेकर सचेत हैं. गूगल ने कहा है कि उसने लीप सेकेंड के मद्देनजर पूरी तैयार कर ली. फ्रांस स्थित इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस के वैज्ञानिक पृथ्वी के घूर्णन की निगरानी करते हैं और जरूरत पड़ने पर समय में बदलाव करते हैं. विशेषज्ञों का तर्क है कि घड़ी में एक सेकेंड इसलिए बढ़ाया गया, ताकि उसका पृथ्वी के घूर्णन (रोटेशन) का आणविक समय से मिलान हो सके. उनका कहना है कि आणविक समय स्थिर है, जबकि पृथ्वी के घूर्णन गति में लगातार प्रतिदिन करीब एक सेकेंड के दो हजारवें हिस्से के बराबर कमी आ रही है और इन्हीं सब चीजों से सॉफ्टवेयर्स को मैच कराने में दिक्कतें सामने आयेंगी.

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