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खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सस्ती दर पर बांटा जाना है अनाज

रांची : खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करीब 75 फीसदी ग्रामीण आबादी तथा 50 फीसदी शहरी आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराना है. योग्य परिवार को प्रति सदस्य प्रति माह पांच किलो अनाज दिया जाना है. वहीं अंत्योदय परिवार को पहले की तरह प्रति माह 35 किलो अनाज दिया जायेगा. अनाज देने की […]

रांची : खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत करीब 75 फीसदी ग्रामीण आबादी तथा 50 फीसदी शहरी आबादी को सस्ती दरों पर अनाज उपलब्ध कराना है. योग्य परिवार को प्रति सदस्य प्रति माह पांच किलो अनाज दिया जाना है. वहीं अंत्योदय परिवार को पहले की तरह प्रति माह 35 किलो अनाज दिया जायेगा. अनाज देने की दर तीन रुपये किलो चावल, दो रुपये किलो गेहूं तथा एक रुपये किलो मोटा अनाज तय की गयी है.
अधिनियम में एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि यदि सरकार किसी योग्य परिवार को अनाज देने में विफल रहती है, तो उस परिवार को मनरेगा की तर्ज पर खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जायेगा. भत्ता संबंधित अनाज (गेहूं, चावल या मोटा अनाज) की बाजार दर पर मिलेगा, जिसे सरकार पहले ही निर्धारित कर देगी.
वर्तमान में आंगनबाड़ी में संचालित पोषाहार योजना तथा स्कूलोंमें संचालित मध्याह्न् भोजन भी अब अधिनियम के दायरे में होंगे. इसलिए खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में तीन विभागों की भूमिका है. इनमें खाद्य आपूर्ति विभाग के अलावा समाज कल्याण विभाग (पोषाहार कार्यक्रम) तथा मानव संसाधन विभाग (मध्याह्न् भोजन) शामिल हैं.
दरअसल अधिनियम में यह बात निहित है कि किसी बच्चे को छह माह के बाद भोजन उपलब्ध कराना सरकार का काम है. इसलिए छह माह से छह साल तक के बच्चे को स्थानीय आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषाहार तथा इसके बाद स्कूल की आठवीं कक्षा तक में पढ़ रहे छह साल से 14 साल के बच्चों को मध्याह्न् भोजन दिया जा रहा है. इससे अधिक उम्र के बच्चे को परिवार का एक सदस्य मानते हुए प्रति माह पांच किलो अनाज दिया जाना है.
झारखंड में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के लाभुकों के चयन के लिए आर्थिक सामाजिक जातीय जनगणना को आधार बनाया गया है. इस मानक पर राज्य की करीब 80 फीसदी जनता को खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का लाभ मिलना है.
महिलाओं के लिए अधिनियम में विशेष प्रावधान किये गये हैं. गर्भवती व धात्री (स्तनपान करानेवाली) महिलाओं को मुफ्त भोजन व मातृत्व लाभ के लिए छह हजार रुपये दिया जाना है.
यह रकम आंगनबाड़ी केंद्रों से किस्तों में मिलेगी. अधिनियम में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, सभी विधवा व परित्यक्ता, 40 फीसदी से अधिक विकलांगता वाले व्यक्ति, सभी आदिम जनजाति के सदस्य, असाध्य रोग (कैंसर, कुष्ठ, एड्स व अन्य) से पीड़ित रोगी तथा सभी भिखारियों व घर विहीन लोगों को खाद्य सुरक्षा दिया जाना है.
ऐसे लोगों पर अपवजर्न मानक (एक्सक्लूसिव स्टैंडर्ड) लागू नहीं होगा. यानी ऐसे लोगों का परिवार भले ही खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के दायरे से बाहर हो, पर उन्हें एक सदस्य के रूप में खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जायेगा.

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