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पेंशन के लिए सात साल से भटक रहीं एलिजाबेथ
मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व मुख्य सचिव को पत्र लिख अपनी पीड़ा बतायी कार्यालय का चक्कर लगा रही है एलिजाबेथ रांची : काम किया. 31 दिसंबर 2008 में सेवानिवृत्त भी हो गयीं, लेकिन, आज तक पेंशन नहीं मिला. इस आस से कार्यालय का चक्कर काटती रहीं, ताकि, पेंशन शुरू हो जाये. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब […]
मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री व मुख्य सचिव को पत्र लिख अपनी पीड़ा बतायी
कार्यालय का चक्कर लगा रही है एलिजाबेथ
रांची : काम किया. 31 दिसंबर 2008 में सेवानिवृत्त भी हो गयीं, लेकिन, आज तक पेंशन नहीं मिला. इस आस से कार्यालय का चक्कर काटती रहीं, ताकि, पेंशन शुरू हो जाये. लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब तो चला भी नहीं जाता. घर से निकलने में भी काफी कठिनाई होती है. अब थक चुकी हूं. इसलिए अब घर पर ही रहती हूं. अब सरकार पर छोड़ दिया है, जब मरजी सुने.
यह कहना है रिम्स से परिचारिका के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी एलिजाबेथ हंस का. बार-बार सरकार की कार्यसंस्कृति को कोस रहीं एलिजाबेथ ने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद मुङो औपबंधिक पेंशन भी दिया गया, लेकिन वर्ष 2013-14 में वह भी बंद कर दिया गया. अब पेंशन निर्धारण के लिए विभाग द्वारा दौड़ाया जा रहा है. थक चुकी एलिजाबेथ ने मुख्यमंत्री रघुवर दास, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी व मुख्य सचिव राजीव गौबा के नाम खुला पत्र दिया है. उस पत्र में उन्होंने अपनी परेशानियों का जिक्र किया है.
विभाग की कार्य संस्कृति की भी चर्चा उन्होंने की है. एलिजाबेथ बताती हैं कि पेंशन व उपादान राशि के भुगतान में अधिक विलंब के कारण कभी-कभी मामला न्यायालय में चला जाता है. जब वो पेंशन की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य विभाग जाती हैं तो उन्हें निदेशालय भेज दिया जाता है, वहां जाने पर कहा जाता है कि आपके कागजात रिम्स भेज दिये गये हैं. उक्त तीनों जगहों पर कई बार आवेदन भी दिया परंतु कोई सुनवाई नहीं होती. मंत्री व मुख्य सचिव को पत्र लिखकर देख रही हूं. अब उन्हीं के सहारे छोड़ दी हूं.
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