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रिम्स प्रबंधन व डॉ तुलसी महतो के खिलाफ नहीं मिले साक्ष्य

रांची : रिम्स के एमबीबीएस में फरजी छात्रों की पढ़ाई के मामले में पुलिस को जांच में रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ तुलसी महतो या रिम्स प्रबंधन के किसी अधिकारी की संलिप्तता से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने अब तक किसी पर कोई निर्णय नहीं लिया है. मामले में संलिप्तता से संबंधित साक्ष्य […]

रांची : रिम्स के एमबीबीएस में फरजी छात्रों की पढ़ाई के मामले में पुलिस को जांच में रिम्स के पूर्व निदेशक डॉ तुलसी महतो या रिम्स प्रबंधन के किसी अधिकारी की संलिप्तता से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने अब तक किसी पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
मामले में संलिप्तता से संबंधित साक्ष्य एकत्रित करने का निर्देश 2014 में तत्कालीन सिटी एसपी ने बरियातू पुलिस को दिया था. जांच में पुलिस ने यह पता करने का प्रयास किया कि रिम्स के निदेशक पद से हटाये जाने के बाद तुलसी महतो ने बरियातू थाने में रिम्स में फरजी तरीके से अध्ययन करनेवाले छात्रों पर क्यों मामला दर्ज कराया था. इसके पीछे डॉ तुलसी महतो का क्या उद्देश्य था. रिम्स प्रबंधन को जब वर्ष 2010 में मामले की जानकारी मिली थी, इसके बावजूद छात्रों को क्यों पढ़ने दिया गया. पूर्व में मामले में क्यों प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी थी.
उल्लेखनीय है कि डॉ तुलसी महतो ने 26 मई को मिथलेश चौधरी सहित अन्य छात्रों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. प्राथमिकी में रिम्स के छात्रों पर षड़यंत्र के तहत धोखाधड़ी एवं जालसाजी कर नामांकन लेने का आरोप लगाया था. मामले में छात्रों पर फरजी तरीके से नामांकन लेने का आरोप भी पुलिस की जांच में सही पाया गया था, लेकिन रिम्स प्रबंधन की भूमिका पर जांच बाकी थी.
क्या लिखा था एसपी ने अपनी रिपोर्ट में
तत्कालीन सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने सदर डीएसपी की रिपोर्ट पर अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा था कि रिम्स में फरजी छात्रों के अध्ययन को लेकर कमेटी ने जांच रिपोर्ट पांच फरवरी, 2010 को ही रिम्स निदेशक को सौंप दी थी. मामले की जानकारी होने के बावजूद उन छात्रों को शो कॉज करीब चार वर्ष बाद किया गया,
लेकिन रिम्स के पूर्व निदेशक और मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले डॉ तुलसी महतो द्वारा इतने दिनों तक छात्रों से स्पष्टीकरण नहीं पूछा जाना एवं इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं करना संदेहास्पद है. इससे यह भी स्पष्ट है कि इस प्रकरण में रिम्स प्रबंधन के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं, इसलिए रिम्स प्रबंधन की संलिप्तता पर भी जांच आवश्यक है.

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