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तीन वर्ष में भी नहीं हुआ 110 मामलों का निबटारा
राणा प्रताप रांची : झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (जेट) में तीन वित्तीय वर्षो के दौरान 110 मुकदमा दर्ज किया गया. इन सभी मुकदमों का अब तक निबटारा नहीं हो पाया है. वर्तमान में 42 मामले न्यायाधीकरण में लंबित हैं. इसमें वर्ष 2012 के दो, 2013 के नौ, 2014 के 19 व 2015 के 12 मामले शामिल […]
राणा प्रताप
रांची : झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (जेट) में तीन वित्तीय वर्षो के दौरान 110 मुकदमा दर्ज किया गया. इन सभी मुकदमों का अब तक निबटारा नहीं हो पाया है. वर्तमान में 42 मामले न्यायाधीकरण में लंबित हैं.
इसमें वर्ष 2012 के दो, 2013 के नौ, 2014 के 19 व 2015 के 12 मामले शामिल हैं. यहां मुकदमा निष्पादन की गति काफी धीमी है. जितने मामले निष्पादित किये गये है, उतने ही मामले विभिन्न कारणों से डिसमिस फॉर डिफाल्ट (डीएफडी) घोषित करते हुए खारिज कर दी गयी.
न्यायाधीकरण के स्थापना व अन्य मदों में लगभग पांच से सात लाख रुपये प्रतिमाह खर्च होता है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2012 से लेकर अब तक सिर्फ 34 मामले निष्पादित किये गये है. इतने ही मामले डीएफडी कर दिया गया है.
बताया गया कि डीएफडी घोषित कर देने से पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता है, बल्कि इसका सीधा लाभ प्रतिवादी संबंधित स्कूल प्रबंधन को मिल जाता है. जानकार अधिवक्ताओं का कहना है कि न्यायाधीकरण में दर्ज मामले को डीएफडी कह कर खारिज नहीं किया जाना चाहिए. इससे स्कूल प्रबंधन को मनमानी करने का बढ़ावा मिलता है.
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