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भ्रष्टाचार मामलों में अभियोजन की मंजूरी से पहले करें विचार

सीवीसी ने विभागों से कहाएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय सतर्कता आयोग ने सरकारी विभागों से कहा कि भ्रष्टाचार के कथित मामलों में कर्मियों के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी देने का फैसला करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करें. आयोग ने कहा है कि कथित भ्रष्टाचार के लिए सरकारी कर्मियों के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी प्रदान […]

सीवीसी ने विभागों से कहाएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्रीय सतर्कता आयोग ने सरकारी विभागों से कहा कि भ्रष्टाचार के कथित मामलों में कर्मियों के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी देने का फैसला करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करें. आयोग ने कहा है कि कथित भ्रष्टाचार के लिए सरकारी कर्मियों के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी प्रदान करने की शक्ति का उपयोग सार्वजनिक हित और आरोपित को उपलब्ध सुरक्षा को ध्यान में रख कर करना चाहिए. आयोग ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, मंजूरी के आदेश से यह स्पष्ट होना चाहिए कि अधिकारी सभी संबंधित तथ्यों या सामग्रियों से अवगत है और उसने सभी संबंधित सामग्रियों पर अच्छी तरह विचार किया है. उसने कहा, आयोग भ्रष्टाचार निर्मूलन अधिनियम,1988 के तहत सीबीआइ और अन्य जांच एजेंसियों की तरफ से प्राप्त अभियोजन की मंजूरी के आग्रहों पर जल्द एवं त्वरित फैसले लेने और अभियोजन की मंजूरी प्रदान करने के लिए तीन माह की समयसीमा की पाबंदी करने की जरूरत पर जोर देता रहा है. सीवीसी ने कहा कि चूंकि उच्चतम न्यायालय के मार्गनिर्देशों का गैर अनुपालन अभियोजन की मंजूरी निष्प्रभावी कर देता है लिहाजा मंजूरी देनेवाले सक्षम प्राधिकारों को पूरी नियम-निष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए. वे किसी विचलन या गैर अनुपालन और अभियोजन के लिए मंजूरी के मामलों में बाद के चरण में मंजूरी की वैधता पर सवालिया निशान खडा करने वाले मुद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराये जायेंगे.

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