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तोलोंग सिकि लिपि में दे सकते हैं परीक्षा : डॉ नारायण

फोटो ट्रैकआदिवासी छात्रावास में तोलोंग सिकि लिपि का प्रशिक्षण कार्यक्रम संवाददाता, रांचीअद्दी कुडुख चाला धुमकुडि़या पड़हा अखड़ा अद्दी अखड़ा द्वारा करमटोली स्थित आदिवासी छात्रावास में कुडुख लिपि ‘तोलोंग सिकि’ का प्रशिक्षण दिया गया. इसमें अजीत मनोहर खलखो, जिता उरांव, राजेंद्र भगत, डॉ नारायण उरांव, डॉ नारायण भगत, विनोद उरांव, किसुन उरांव, शोधार्थी लक्ष्मी उरांव, सीता […]

फोटो ट्रैकआदिवासी छात्रावास में तोलोंग सिकि लिपि का प्रशिक्षण कार्यक्रम संवाददाता, रांचीअद्दी कुडुख चाला धुमकुडि़या पड़हा अखड़ा अद्दी अखड़ा द्वारा करमटोली स्थित आदिवासी छात्रावास में कुडुख लिपि ‘तोलोंग सिकि’ का प्रशिक्षण दिया गया. इसमें अजीत मनोहर खलखो, जिता उरांव, राजेंद्र भगत, डॉ नारायण उरांव, डॉ नारायण भगत, विनोद उरांव, किसुन उरांव, शोधार्थी लक्ष्मी उरांव, सीता कुमारी, नागेश्वर भगत, लोधेर उरांव व अन्य शामिल थे. कुडुख भाषा की लिपि बनाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. लिपि केजनक डॉ नारायण उरांव ने बताया अपनी लिपि से ही कुडुख समुदाय की पहचान बचेगी. इसके आधार पर कुडुख भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराया जायेगा. वर्ष 2001 से ही तोलोंग सिकि लिपि से पढ़ाई जारी है. 2003 में झारखंड सरकार ने इसे कुडुख भाषा की लिपि मान लिया है. 2009 से इस लिपि से जैक बोर्ड में विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं.इस मौके पर तोलोंग सिकि लिपि पर कुडुख पुस्तकों के लेखन का निर्णय भी लिया गया.

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