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बेहतर जांच पर ध्यान नहीं

राज्य पुलिस . राज्य में लगातार बढ़ रही है आपराधिक व नक्सली घटनाएं अपराध पर लगाम नहीं लगने और नक्सली घटनाओं में वृद्धि के कारण पुलिस के सीनियर अफसरों से सरकार नाराज है. सीनियर अफसर जूनियर आइपीएस अफसर को खरी-खोटी सुना रहे हैं, जबकि जूनियर अफसर थानेदार को. इन सबसे पीछे कई वजह है. फोर्स […]

राज्य पुलिस . राज्य में लगातार बढ़ रही है आपराधिक व नक्सली घटनाएं
अपराध पर लगाम नहीं लगने और नक्सली घटनाओं में वृद्धि के कारण पुलिस के सीनियर अफसरों से सरकार नाराज है. सीनियर अफसर जूनियर आइपीएस अफसर को खरी-खोटी सुना रहे हैं, जबकि जूनियर अफसर थानेदार को. इन सबसे पीछे कई वजह है.
फोर्स की कमी नहीं है, पर इच्छाशक्ति का अभाव साफ दिख रहा है.
जेल से निकलने वाले अपराधियों पर नजर रखने का काम बंद हो गया है. अनुसंधान को और कैसे बेहतर बनाया जाये, इस पर किसी का ध्यान नहीं है. यही वजह है कि झारखंड पुलिस अचानक बैकफुट पर आ गयी है.
रांची : झारखंड में अब करीब 50 हजार राज्य पुलिस के जवान (जिला, जैप व आइआरबी) हैं. नक्सली घटनाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने करीब 7000 (118 कंपनी) अर्धसैनिक बल उपलब्ध कराया है.
राज्य सरकार ने पुलिस को एक हेलीकॉप्टर भी दिया है. सीआरपीएफ के पास भी अलग से एक हेलीकॉप्टर है. इन सबके बाद भी हाल में पुलिस नक्सलियों के खिलाफ कमजोर पड़ी है. चतरा में सूचना रहने के बाद भी पुलिस हत्या की घटना नहीं रोक सकी. हत्या की खबर मिलने के बाद भी चतरा पुलिस 72 घंटे तक शव लाने नहीं गयी.
हजारीबाग की चौपारण पुलिस भी जंगल से शव नहीं उठा सकी. दोनों घटनाओं में पुलिस का कहना है कि नक्सली घात लगा कर बैठे थे, इसलिए पुलिस नहीं गयी. चतरा में पहले से सूचना रहने के बाद भी पुलिस नक्सलियों से पहले गांव तक नहीं पहुंची. गुमला में नक्सली संगठन के लिए बच्चे को ले जा रहे हैं, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है. साफ है कि राज्य पुलिस के पास फोर्स व सुविधा तो है, पर इच्छाशक्ति का अभाव है.
नक्सल अभियान में जैप व आइआरबी का इस्तेमाल नहीं: नक्सलियों से लड़ने के लिए बनी इंडिया रिजर्व बटालियन (आइआरबी) के करीब चार हजार जवानों के साथ-साथ जैप के जवानों को नक्सल विरोधी अभियान में लगाया ही नहीं जाता है.
जवानों को बटालियन मुख्यालय या थानों की सुरक्षा में रखा जाता रहा. कई बार तो कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए शहर में भी तैनात कर दिये गये. जवानों को नक्सल विरोधी अभियान में लगाया ही नहीं गया, जबकि आइआरबी के जवान नक्सल विरोधी अभियान के लिए ट्रेंड किये गये हैं.
जैप मुख्यालय ने पिछले दिनों एक रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी थी, जिसमें कहा गया था कि आइआरबी की पांच-पांच बटालियन 34 कंपनी फोर्स है. एक कंपनी में 130 जवान होते हैं. इस तरह आइआरबी में करीब 44 सौ जवान हैं. लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता.

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