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झारखंड में इंजीनियर का कमाल, खुद स्पेशल सीआर लिख कर बन बैठे आइएएस अफसर

शकील अख्तर/आनंद मोहन रांची: सहायक अभियंता मनोज कुमार को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित करने के लिए जिन दो स्पेशल सीआर (विशेष गोपनीय चारित्रियों) का इस्तेमाल किया है, उनमें उन्हीं की लिखावट है. दूसरे स्पेशल सीआर में जालसाजी की गयी है. यह सरकार की ओर से निर्धारित प्रारूप से अलग है. सरकार की ओर से […]

शकील अख्तर/आनंद मोहन
रांची: सहायक अभियंता मनोज कुमार को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित करने के लिए जिन दो स्पेशल सीआर (विशेष गोपनीय चारित्रियों) का इस्तेमाल किया है, उनमें उन्हीं की लिखावट है. दूसरे स्पेशल सीआर में जालसाजी की गयी है. यह सरकार की ओर से निर्धारित प्रारूप से अलग है. सरकार की ओर से समय-समय पर जारी आदेश के तहत स्पेशल सीआर का इस्तेमाल सिर्फ प्रोन्नति के मामले में ही वैध है. इसके बाद भी जल संसाधन और कार्मिक विभाग तक के शीर्ष अधिकारियों ने स्पेशल सीआर को चयन के सहारे आइएएस में नियुक्ति के लिए सही मान लिया.
दो हिस्सों में लिखे गये थे स्पेशल सीआर : जल संसाधन विभाग में अवर सचिव के पद पर कार्यरत तत्कालीन सहायक अभियंता मनोज कुमार को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के आधार पर नियुक्त करने की अनुशंसा की गयी थी. इसके लिए विजिलेंस क्लियरेंस और 10 वर्षो के सेवा काल में उनके काम-काज और गुण दोष से संबंधित प्रमाण पत्र को आधार बनाया गया था. उनके 10 वर्ष के सेवा काल में से सात वर्ष के लिए ‘ स्पेशल सीआर’ को आधार बनाया गया था. स्पेशल सीआर दो हिस्सों में लिखे गये थे. पहला वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2008-09 तक की अवधि के लिए था.
बिहार में कार्यकाल, झारखंड में लिखा गया स्पेशल सीआर : मनोज कुमार नौ अप्रैल 2007 तक बिहार सरकार के अधीन कार्यरत थे. झारखंड कॉडर मिलने के बाद उन्होंने 14 अप्रैल 2007 को लघु सिंचाई प्रमंडल साहेबगंज में सहायक अभियंता के पद पर योगदान दिया. जल संसाधन विभाग झारखंड के अधिकारियों ने सात जनवरी 2010 को वर्ष 2003-04 से 2008-09 तक का उनका पहला स्पेशल सीआर जारी किया.

यानी उनके बिहार के कार्यकाल की अवधि (2003-04 से 2006-07) का स्पेशल सीआर भी झारखंड के अधिकारियों ने लिखी. इसके लिए बिहार सरकार से उनके नियमित सीआर की कोई जानकारी नहीं मांगी. मनोज कुमार के लिए लिखा गया पहला स्पेशल सीआर नियम सम्मत नहीं है. नियम के अनुसार, रिपोर्टिग अथॉरिटी संयुक्त स्तर के अधिकारी को होना चाहिए था. पर इसमें उप सचिव स्तर के अधिकारी ही रिपोर्टिग अथॉरिटी बन गये. संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी ने सिर्फ इस पर हस्ताक्षर कर दिया. इस पर एक्सेपटिंग अथॉरिटी का हस्ताक्षर भी नहीं है.

27 मई 2014 को दूसरा स्पेशल सीआर : मनोज कुमार का दूसरा स्पेशल सीआर 2011-12 से 20012-13 के लिए 27 मई 2014 को जारी किया गया. इसमें रिपोर्टिग अथॉरिटी संयुक्त स्तर के अधिकारी थे. जल संसाधन विभाग के तत्कालीन सचिव अविनाश कुमार ने इसे स्वीकार करते हुए इस पर हस्ताक्षर कर दिया. इस स्पेशल सीआर का प्रारूप सरकार के अनुमोदित प्रारूप से अलग है. इसमें यह नहीं लिखा गया है कि विभाग के सक्षम पदाधिकारी ने इसे लिखने का आदेश कब जारी किया और उसका पत्रंक क्या है. नियमानुसार यह जरूरी है. यही नहीं, 2010 और 2014 में जारी दोनों स्पेशल सीआर में एक ही व्यक्ति की लिखावट है. यह लिखावट खुद मनोज कुमार की है. इतना ही नहीं, 2012-13 में आठ माह चार दिन की अवधि के लिए मनोज कुमार का नियमित एसीआर लिखा गया था. इसके बावजूद 2012-13 का स्पेशल सीआर लिखा गया.
स्पेशल सीआर
लिखे जाने का कारण : स्पेशल सीआर लिखने की प्रक्रिया 1981 में शुरू हुई. एकीकृत बिहार के तत्कालीन मुख्य सचिव पीपी नैयर के हस्ताक्षर से जारी आदेश में नियमित वार्षिक गोपनीय चारित्री (एसीआर) के नहीं होने की स्थिति में विशेष गोपनीय चारित्री (स्पेशल सीआर) लिखने का प्रावधान किया गया था. पत्र संख्या 1/16941/180-532 (दिनांक 11-2-1981) के अनुसार यदि किसी इंजीनियर का किसी वर्ष का एसीआर किसी कारण से अनुपलब्ध हो और इससे उसकी प्रोन्नति, स्थायीकरण और दक्षतावरोध पार करने में कठिनाई हो रही हो, तो संबंधित इंजीनियर के लिए स्पेशल सीआर लिखा जा सकता है. बिहार सरकार पत्रंक 2108 (दिनांक 31 मई 2010) के अनुसार किसी कर्मचारी के लिए पूरे सेवाकाल में सिर्फ एक ही बार स्पेशल सीआर लिखा जायेगा.

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