अमेरिकी आपत्तियों को किया नजरअंदाजतेहरान. अमेरिकी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए भारत ने बुधवार को ईरान के साथ रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए समझौता किया. इसके जरिये भारत को पाकिस्तान से हट कर अफगानिस्तान तक पहुंचने का समुद्री और थल मार्ग मिल जायेगा. ईरान की यात्रा पर आये सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ईरान के नेतृत्व के साथ व्यापक बातचीत के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. एक सूत्र ने कहा, दोनांे पक्षांे के बीच बातचीत के बाद सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किये गये. ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह के विकास में भारत के सहयोग से दोनों देशों के संबंधों में एक नये अध्याय की शुरुआत होगी. उन्होंने खनिज तेल भंडार से संपन्न अपने देश के बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए भारतीय निवेशकों को आमंत्रित किया. चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है. भारत के लिए इसकी उपयोगिता बहुत अधिक है क्योंकि इसके रास्ते भारत को पाकिस्तान के बाहर अफगानिस्तान तक पहुंचने का एक समुद्री और जमीनी रास्ता मिल जायेगा. अमेरिका लगातार भारत व अन्य देशांे से कहता रहा है कि वे ईरान के साथ व्यापार करने में जल्दबाजी न करें, क्यांेकि अभी तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर करार को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है.
भारत-ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर समझौता
अमेरिकी आपत्तियों को किया नजरअंदाजतेहरान. अमेरिकी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए भारत ने बुधवार को ईरान के साथ रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए समझौता किया. इसके जरिये भारत को पाकिस्तान से हट कर अफगानिस्तान तक पहुंचने का समुद्री और थल मार्ग मिल जायेगा. ईरान की यात्रा पर आये सड़क परिवहन […]
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