नयी दिल्ली. ग्रीनपीस इंडिया ने मंगलवार को कहा कि अपने कर्मचारियों के लिए फंड नहीं होने की वजह से एक महीने के भीतर वह ‘सन्निकट’ बंदी के कगार पर है. उसने सरकार पर उसके फंड को फ्रीज करने के बाद चालाकी से उसका गला घोंटने का आरोप लगाया. ग्रीनपीस इंडिया के कर्मचारियों को अपने संबोधन में कार्यकारी निदेशक समित आइच ने उनसे कहा कि देश में 14 साल रहने के बाद संगठन के संभावित बंदी के लिए तैयार रहने को कहा. ग्रीनपीस इंडिया ने एक वक्तव्य में कहा, ‘ग्रीनपीस इंडिया के पास अपने अस्तित्व के लिए लड़ने के लिए एक महीना बचा है और उसपर सन्निकट बंदी का खतरा मंडरा रहा है. एनजीओ के पास कर्मचारियों के वेतन और कार्यालय खर्च के लिए मात्र एक महीने का धन बचा है.’ इसे चालाकी से गला घोंटना करार देते हुए वैश्विक हरित निकाय ने गृह मंत्री को मनमाना जुर्माना लगाना बंद करने की चेतावनी दी और इस बात को स्वीकार करने को कहा कि वह ग्रीनपीस इंडिया के सफल अभियानों की वजह से उसे बंद कराने का प्रयास कर रहे हैं.
खजाना खाली, ग्रीनपीस इंडिया बंदी की ओर
नयी दिल्ली. ग्रीनपीस इंडिया ने मंगलवार को कहा कि अपने कर्मचारियों के लिए फंड नहीं होने की वजह से एक महीने के भीतर वह ‘सन्निकट’ बंदी के कगार पर है. उसने सरकार पर उसके फंड को फ्रीज करने के बाद चालाकी से उसका गला घोंटने का आरोप लगाया. ग्रीनपीस इंडिया के कर्मचारियों को अपने संबोधन […]
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